भागवत कथा में छाया कृष्ण जन्म का उल्लास, हर तरफ बन गया खुशी का माहौल
आरके आरसी व्यास माहेश्वरी भवन में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव का चौथा दिन
सुनील पाटनी/भीलवाड़ा। बधाई हो बधाई के साथ हर तरफ गूंज नंद के आनंद भैयो जय कन्हैयालाल की हो रही थी। नंदजी के अंगना में बज रही आज बधाई जैसे गीतों पर सैकड़ो भक्तगण एक साथ खुशी से झूम रहे थे, बच्चा हो या बुर्जुग, महिला हो या पुरूष हर श्रद्धालु खुशी के सागर में डूबकी लगाने को उतारू था, कोई अपनी खुशी जताने से पीछे नहीं रहना चाहता था। हर चेहरे पर उल्लास छाया हुआ था और सभी तारणहार कृष्ण जन्म की खुशी में डूबे हुए थे। ये नजारा गुरूवार दोपहर शहर के देवरिया बालाजी रोड स्थित आरके आरसी माहेश्वरी भवन में अलवर से आए स्वामी सुदर्शनाचार्यजी महाराज के सानिध्य में काष्ट परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के चौथे दिन श्री राम चरित्र एवं श्री कृष्णजन्म नंदोत्सव प्रसंग के वाचन के दौरान साकार हुआ। कथा के दौरान जब कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया तो ऐसा लगा मानों कथास्थल आरके आरसी माहेश्वरी भवन ही नंदगांव बन गया हो। व्यास पीठ पर विराजित स्वामी सुदर्शनाचार्यजी महाराज के बधाई गीतों के साथ सैकड़ो भक्त झूमते रहे और एक-दूसरे को कृष्ण जन्मोत्सव की बधाईयां देते रहे। कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग में वासुदेव, नंदबाबा, यशोदा आदि की सजीव झांकियों ने भक्तों का मन जीत लिया। वासुदेव टोकरी में रख बाल गोपाल को लेकर मंच पर पहुंचे तो हर तरफ भगवान कृष्ण के जयकारे लगते रहे। भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के दौरान पुष्पवर्षा होती रही और श्रद्धालु खुशी से झूमते हुए नृत्य करते रहे। कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए पांडाल में विशेष सजावट की गई थी। स्वामी सुदर्शनाचार्यजी महाराज ने कहा कि भगवान का अवतार पुण्यात्माओं की रक्षा करने एवं पापियों का नाश करने के लिए होता है। भगवान कृष्ण के धरा पर अवतार लेते ही जो कारागृह अंधकार में डूबा हुआ था वहां उजाला हो गया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत में सुखदेवजी महाराज ने राजा परीक्षित को नरक में जाने से बचने का रास्ता भी बताया है। ऐसा कोई इंसान नहीं जिससे कोई पाप नहीं हुआ हो। परमात्मा की कृपा से ही व्यक्ति अपनी आत्मा का कल्याण कर सकता है। जब तक मनुष्य भगवान की शरण में नहीं जाएगा उसका कल्याण नहीं हो सकता। कथा के अंत में व्यास पीठ की आरती करने वालों में नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष धर्मेन्द्र पारीक, एडवोकेट वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष दुर्गेश शर्मा, डीबीए भीलवाड़ा के पूर्व महासचिव राघवेन्द्रनाथ व्यास, राकेश जैन, अधिवक्ता सुनील मंडोवरा, संजय सेन, विशाल उपाध्याय, दीपक कोठारी, अंशुल शर्मा, सत्यनारायण सोमानी, विजय डोलिया, भागवत सेवा समिति सुभाषनगर के संरक्षक राघेश्याम बहेड़िया, हरिशंकर पारीक, विद्याधर लाड़ आदि शामिल थे। अतिथियों का स्वागत काष्ट परिवार के श्री कैलाशचन्द्र काष्ट, कमल काष्ट आदि सदस्यों ने किया। श्रीमद् भागवत कथा का वाचन 18 जून तक प्रतिदिन सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक होगा। कथा के पांचवे दिन 16 जून को श्रीकृष्ण बाल लीला, गोवर्धन पूजा, छप्पन भोग प्रसंग का वाचन होगा।
इंसान के बस में नहीं राघव के चरित्र का वर्णन करना
स्वामी सुदर्शनाचार्य महाराज ने रामावतार प्रसंग का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा होने से संक्षिप्त में इसका वर्णन आया है लेकिन राघव के चरित्र का वर्णन मानव के बस की बात नहीं है। इंसान 100 जन्म ले तो भी उसे नहीं समझ सकता। जीवन में राम के चरित्र का अनुसरण करे तो कल्याण हो जाएगा। इस प्रसंग के दौरान अवध में आनंद भैयो जय हो राजा राम की जयकारे गूंजते रहे। उन्होंने राजा दशरथ के यहां भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुधन के जन्म लेने से लेकर उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग अति संक्षिप्त में बताए। राम ऐसा आदर्श चरित्र जो इंसान बनकर आए और भगवान बनकर गए। उन्होंने कहा कि राम जैसा पुत्र चाहिए तो दशरथ जैसा पिता बनना होगा और सीता जैसी पत्नी चाहिए तो राम जैसा पति बनना होगा। भरत जैसा भाई पाने के लिए राम जैसा आदर्श स्थापित करना होगा।
परमात्मा से मांगना है तो उसे मांग लो
स्वामी सुदर्शनाचार्यजी ने कथा के दौरान भगवान विष्णु के वामन अवतार प्रसंग का जिक्र करते हुए दैत्यराज बलि की दान महिमा भी बताई। दाता हमेशा श्रेष्ठ होता है और जीवन में दान की भावना हमेशा रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वामन भगवान ने तीसरा पैर जब राजा बलि के सिर पर रखा तो आकाश से पुष्पवृष्टि हुई और नगाड़े बजने लगे। परमात्मा से कुछ मांगना है तो उसे ही मांग लेना चाहिए। भगवान हमेशा भगत के वश में होते है। राजा बलि के समक्ष चारभुजानाथ प्रकट हुए तो लक्ष्मी भी चतुर्भुज रूप में प्रकट हो गई। इस दौरान भगवान चारभुजानाथ के जयकारे भी गूंजे।
सनातन संस्कृति ही करती विश्व बंधुत्व व शांति की कामना
कथा के दौरान स्वामी सुदर्शनाचार्यजी ने सनातन संस्कृति की महिमा बताते हुए कहा कि ये दुनिया के एक मात्र संस्कृति है जो वसुधैव कुटम्बकम की भावना में विश्वास रखते हुए विश्व बंधुत्व व शांति की कामना करती है। सनातन संस्कृति बारूद के ढेर पर बैठी दुनिया के बीच सर्वमंगल की कामना करती है और प्राणी मात्र की कल्याण की भावना रखती है। उन्हांेंने गौवंश की सेवा की प्रेरणा देते हुए कहा कि गाय में सभी देवताओं का वास होता है। जिस घर में गौसेवा व गौपालन होता है वहां कभी बीमारियों व मानसिक तनाव का आगमन नहीं होता है और हमेशा सुख-समृद्धि का वास रहता है।
भजनों की रसधारा में झूमते रहे श्रद्धालु
श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में चौथे दिन रामावतार व कृष्ण जन्मोत्सव प्रसंग आने से श्रद्धालु संगीतमय भक्तिरस में डूबे रहे। व्यास पीठ से स्वामी सुदर्शनाचार्यजी महाराज ने नंद के आनंद भैयो जय कन्हैयालाल की, राजा दशरथजी के द्वार बधाई बज रही, मेरे सिर पर रख दे गिरधारी अपने ये दोनो हाथ देना हो तो दीजिए जन्म-जन्म का साथ, आजा रे कन्हैया मथुरा देश में आदि भजनों से भक्ति की ऐसी रसधारा बहाई जिसमें डूबकर श्रद्धालु जमकर नृत्य करते रहे।