Sunday, September 22, 2024

भगवान श्री विमलनाथ स्वामी का मनाया निर्वाण कल्याणक

थूवोनजी कमेटी ने की रामटेक तीर्थ की वंदना, जगत कल्याण की कामना के लिए हुई शान्ति धारा

अशोक नगर। जैन दर्शन के तेरहवें तीर्थंकर भगवान श्री विमलनाथ स्वामी का निर्वाण कल्याणक सुप्रसिद्ध जैन तीर्थ क्षेत्र रामटेक में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री शस्वत सागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में मनाया गया जहां जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्तिधारा जैन युवा वर्ग के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भोला दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल, महामंत्री विपिन सिंघाई, कोषाध्यक्ष सौरव वाझल, आडिटर राजीव चन्देरी, मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा, डॉ दीपक जैन सहित अन्य भक्तों ने की। इसके पहले भगवान के कलशाभिषेक किए गए ।इस दौरान तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने रामटेक तीर्थ की वंदना कर तीर्थ क्षेत्र का अवलोकन किया।
संस्कारित शिक्षा के लिए प्रतिभा स्थली नींव का पत्थर है
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू, महामंत्री विपिन सिंघाई सहित सभी ने रामटेक तीर्थ स्थल की व्यवस्थाओ के साथ ही आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद से संचालित श्री ज्ञानोदय विद्या पीठ प्रतिभा स्थली को देखा। जहां बेटियो को संस्कारित शिक्षा के साथ ही जीवन के रहस्यों को खेल खेल में सिखलाते हुए धर्म के मर्म को घुट्टी में पिलाया जा रहा है। आचार्य भगवंत के शिक्षा को संस्कारित बनने की मूहिम में प्रतिभा स्थली नींव का पत्थर साबित हो रही है ।
तीर्थकर प्रभु के जीवन चरित्र को पठकर आत्मसात करें
इस दौरान मुनि श्री शस्वत सागर जी महाराज ने कहा कि आज भगवान श्री विमलनाथ स्वामी का निर्वाण कल्याणक है। भगवान ने शस्वत तीर्थ क्षेत्र सम्मेदशिखर जी से परम पावन निर्वाण पद को आज के दिन ही प्राप्त किया था। जिन धर्म अनाधी काल से चला आ रहा है संसार भगवान श्री महावीर स्वामी को ही पूर्ण रूप से जनता है इनके पहले भी तेइस तीर्थंकर हुए हैं इस युग के आदि में भगवान श्री ऋषभदेव ने अशि मशी कृषि विद्या वाणिज्य और शिल्प का उपदेश देकर मनवता को जीने की राह दिखाई हम सब चौबीस तीर्थंकर भगवंतो के जीवन चरित्र को पठकर आत्मसात करके उनके बताये हुए मार्ग पर चलकर अपनी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं यही सच्चा मार्ग है त्याग के बिना आत्मतत्व की बोधि प्राप्त नहीं हो सकती जब भी आत्मतत्व की प्राप्ति होती इसी मार्ग से होगी। इसके बाद कमेटी ने नागपुर में विराजमान मुनि श्री पूज्य सागरजी महाराज ससंघ के दर्शन लाभ प्राप्त किया।

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