जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मन्दिर में शुक्रवार 9 जून को भगवान के श्री चरणों में अपने समस्त दुखों की निर्वृत्ति हेतु अर्थात निर्वाण की भावना के साथ तीर्थंकर भगवान विमलनाथ के मोक्ष कल्याणक के साथ भगवान वासुपूज्य का गर्भ कल्याणक भक्ति भाव के साथ मनाया गया। प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया कि भगवान विमलनाथ जैन धर्म के वर्तमान अवसर्पिणी काल के तेरहवें तीर्थंकर है। इनका वंश इक्ष्वाकु तथा पिता कृतवर्मन माता श्यामा थे। विमलनाथ का चिन्ह सुअर जन्म स्थान काम्पिल मोक्ष स्थान सम्मेद शिखर है। सुबह अभिषेक शान्ति धारा के बाद बारहवें तीर्थंकर वासुपूज्य व तेरहवें तीर्थंकर विमल नाथ की पूजन करके उपस्थित श्रेष्ठी गणों ने आचार्य मानुतुंग रचित गाथा का पाठ किया तथा सभी ने निर्वाण काण्ड का वाचन कर निर्वाण अर्घ बोलते हुए जयकारों के मध्य विमल नाथ के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाडू चढ़ाया तथा मोक्ष कल्याण को सामान्य विषेषात्मक दिवस के रूप में व्याख्या करते हुए मनाया।