दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी ने श्री फल भेंट किए
चातुर्मास के लिए दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी कर रही है प्रयास
अशोक नगर। सब कुछ मन के अनुसार हो ये ज़रूरी नहीं है हम जो ठानले वहीं भी हो सकता है हमें इस ओर कदम बढ़ा ने की आवश्यकता है मन की शान्ति को बनाये रखें। मन की शान्ति को नहीं छोड़ाना है थोड़ी सी प्रतिकूलता में आप अपना धैर्य खो देते हैं मन की शान्ति के लिए धैर्य का होना बहुत जरूरी है मन को संयमित बनाये आपका सौभाग्य है कि आप भारतीय वसुंधरा पर जन्मे हैं तो हम अपनी संस्कृति संस्कार और के साथ सभ्यता को बनाये रखें मन की चंचलता के कारण ही तो मन को बंदर की उपमा दी है इसी चंचलता को रोकना है उक्त आश्य के उद्गार मुनिपुगंव श्री सुधासागर जी महाराज ने करगुआ तीर्थ झांसी में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी चातुर्मास का निवेदन लेकर आईं हैं
मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू मिल महामंत्री विपिन सिंघाई के नेतृत्व में थूवोनजी तीर्थ कमेटी ने मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ससंघ क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी महाराज को श्री फल भेंट कर दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी में चातुर्मास का निवेदन करते हुए कहा कि हम सब वर्षों से तीर्थ स्थल पर चातुर्मास के लिए प्रयास कर रहे हैं आप का जब से अंचल में पदार्पण हुआ है कमेटी सभी व्यवस्थाओं सुन्दर से सुन्दर बनाने के लिए संकल्पित है हर बार हम पिछड़ जाते हैं गुरु देव इस बार हमे आप ऐसा आशीर्वाद दे कि हम अपने उद्देश्य में सफल हो इस दौरान कमेटी के निर्माणमंत्री विनोद मोदी कोषाध्यक्ष सौरव वाझल आडिटर राजीवचन्देरी सुनील घेलू पवन धुर्रा युवी जैन युवराज वीर जैन सहित अन्य भक्तों ने परम पूज्य का आशीर्वाद प्राप्त किया।
संसार के स्वभाव को समझना पड़ेगा
उन्होंने कहा कि संसार का जो स्वभाव है उसे समझना पड़ेगा जिसे आप बचाना चाहते हैं वहीं आपको धोका दे देता है इस संसार में जिसे आप शरण लेते हैं वहीं पंख काट देते हैं आप क्या करेंगे एक कहानी आतीं हैं कि दो चूहों को कोई मारने वाला था उसे हंस ने अपने पंखों में छिपा लिया चूहे तो बच गये उस हंस ने उड़ान भरने को पंख फैलाए तो पंख तो कट चुके थे तव वह हंस चूहे से कहता है ये तुमने क्या किया चूहे कहते हैं ये तो मेरा स्वभाव है ऐसा ही है इस संसार का स्वरूप सृष्टि के स्वरूप को समझगे तब ही आपको ज्ञान होगा कोयले की खान से ही हीरा निकलता है।
दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए
मुनिश्री ने कहा कि दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए दुर्भाग्य को आप सौभाग्य में बदल सकते हैं और यदि हमारे कर्म खराब होंगे तो सौभाग्य भी दुर्भाग्य में वदल जायेगा इसलिए जीवन में ऐसा काम करें कि दुर्भाग्य सौभाग्य में बदले। भाग्य कोई बड़ी बात नहीं है आज का पुरूषार्थ ही तो कल का भाग्य है हम दुसरो के हक को मार नहीं सकते हम। जिंदगी में मुस्कुराहट बढ़े इसके लिए दूसरो के चेहरे पर ख़ुशी लाने को कोई मौके ना खये खुशी छोटी छोटी चीजों में मिल जाती है हम उसकी कीमत नहीं समझते हम खुशियों को खोजते रहना चाहिए एक छोटे से वच्चे के लिए एक टोफी खुशकर देती है लेकिन हमारा ध्यान उस ओर जाता ही नही है आप किसी के घर जाते हैं तो उन्हें किस तरह से खुश कर सकते हैं कभी ध्यान ही नहीं दिया।