Sunday, September 22, 2024

पर्यावरण संरक्षण पर त्रि-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न

अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने पर्यावरण संरक्षण के लिए रखे अपने विचार

जयपुर। निर्वाण विश्वविद्यालय जयपुर के तत्वावधान में ‘पर्यावरण, कृषि और मानव कल्याण सतत विकास लक्ष्यों की समीक्षा’ विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन सोमवार को हुआ। जेएलएन विवि दिल्ली के प्रो. संजय भारद्वाज कार्यक्रम के मुख्य मुख्य आतिथि रहे।

अनुभवी वक्ताओं का हुआ उद्बोधन
विवि के सीईओ डॉ. आर.के. अरोड़ा ने बताया कि बारह सत्रों में आयोजित हुए इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को विभिन्न देशों के शैक्षणिक संस्थानों से अनुभवी वक्ताओं ने संबोधित किया। मासेराटा यूनिवर्सिटी इटली के प्रो. अल्बर्टो फेब्रायो, उपस्सला यूनिवर्सिटीस्वीडन के प्रो. हाइंज वरनर वैस्लर, रोम यूनिवर्सिटी इटली के प्रो. टीटो मार्सी, सिटी कॉलेज, ग्लैसगो यूके के प्रो. ध्रुव कुमार, बांग्लादेश ऊर्जा नियामक आयोग के सचिव खलील खान, डॉ. आर.पी. केंद्रीय कृषि विवि, पूसा, बिहार के प्रो. आर.सी. श्रीवास्तव, महर्षि अरविंद विवि जयपुर के कुलपति प्रो. सुरेश जैन, शोभित इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी मेरठ के कुलपति प्रो. ए.पी. गर्ग और दिल्ली विवि की प्रो. पवित्रा भारद्वाज ने उपस्थितजनों को अपने विचारों से अवगत करवाया।

शुभ अवसरों पर लगाएं एक पौधा
निर्वाण विवि के कुलाध्यक्ष डॉ. एस. एल. सिहाग ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वृक्ष एवं वनस्पति हमारे जीवन का मुख्य आधार है जबकि आधुनिकता के दौर में हम वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सिहाग ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जन्मदिन, विवाह और सालगिरह जैसे शुभ अवसरों पर एक पौधा तो अवश्य लगाना चाहिए।
विवि के कुलसचिव प्रो. प्रशांत बेनीवाल ने कहा कि पॉलीथिन रूपी दानव पर्यावरण को निरंतर निगलता ही जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमें कपड़े अथवा जूट के थैले का उपयोग करना चाहिए। विवि के निदेशक आईक्यूएसी शशिकांत विज ने अपने उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण से जुड़े एक संगठन की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्ष 2030 तक जलवायु परिवर्तन से प्रभावित लगभग एक अरब लोगों की मौत हो जाएगी। सह-संयोजक एवं अध्यक्ष भौतिक विज्ञान विभाग डॉ. पीयूष कुमार कमलेश ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अधिक से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए।

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