Sunday, September 22, 2024

धर्म प्रभावना का प्रतीक है फहराती पचरंगी ध्वजा

नसियां जैन मंदिर प्रांगण में 51 फुट ऊंचे ध्वज दंड पर फहराई विशाल पचरंगी ध्वजा

गंगापुर सिटी। नसिया कॉलोनी स्थित दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में आज नवकार महामंत्र के उच्चारण के साथ ध्वज वाटिका में स्थित 51 फुट ऊंचे ध्वज दंड पर विशाल पचरंगी ध्वजा धर्म श्रेष्ठी मंगल चंद जैन द्वारा फहराई गई। इस अवसर पर सर्वजन की मंगलभावना के लिए “अरिहंतो भगवंत सिद्ध महता” मंगलाष्टक का सामूहिक उच्चारण किया गया। जिनालय में विराजित सभी तीर्थंकर भगवानो के चरणों में अर्ध समर्पित किए गए। एवं णमोकार मंत्र के उच्चारण के साथ 51 फुट ऊंचे ध्वजदंड पर पचरंगी ध्वजा श्रीमान मंगल चंद जैन द्वारा फहराई गई। इससे पूर्व जैन समाज के वरिष्ठ जनों ने मंगल जैन का तिलक लगाकर एवं माला साफा एवं दुपट्टा पहना का स्वागत संबंध किया। इस अवसर पर उपस्थित दिगंबर जैन सोशल ग्रुप के रीजन उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन नृपत्या एवं समाज के वरिष्ठ जन कैलाश चंद जैन ने बताया कि जैन धर्म में जैन ध्वज महत्वपूर्ण है और इसके अनुयायियों के लिए एकता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है। विभिन्न समारोहों के दौरान ध्वज जैन मंदिर के मुख्य शिखर के ऊपर या विशेष कटनी बनाकर इसे फहराया जाता है।

जैन ध्वज की संरचना
जैन ध्वज अलग-अलग रंगों के पांच क्षैतिज बैंड से बना है। रंगीन बैंड 24 जिन का प्रतिनिधित्व करते हैं और पांच पवित्र संस्थाओं का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, जो जैन धर्म में अत्यधिक पूजनीय हैं। रंग ऊपर से नीचे तक लाल, पीला, सफेद, हरा, गहरा नीला है। लंबाई में तीन गुना और चौड़ाई में दो गुना।सफेद पट्टी के केंद्र में एक स्वस्तिक है, जिसके ऊपर तीन बिंदु और शीर्ष पर एक अर्धचंद्र है। एक मुक्त आत्मा को अर्धचंद्र के ऊपर बिंदी द्वारा दर्शाया जाता है। ये सभी नारंगी रंग के हैं।

जैन ध्वज पर प्रतीकवाद
जैन ध्वज पांच रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
लाल – यह उन सिद्धों या आत्माओं का प्रतिनिधित्व करता है जिन्होंने मोक्ष प्राप्त कर लिया है।
पीला – यह आचार्यों, निपुण स्वामी का प्रतिनिधित्व करता है।
सफेद – यह अरिहंतों, आत्माओं का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने सभी जुनून (क्रोध, मोह, घृणा) पर विजय प्राप्त करने के बाद आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से सर्वज्ञता और शाश्वत आनंद प्राप्त किया है। यह अहिंसा (अहिंसा) का भी प्रतिनिधित्व करता है।
हरा – यह उपाध्याय का प्रतिनिधित्व करता है जो जैन भिक्षुओं को जैन धर्मग्रंथों के बारे में पढ़ाते और उपदेश देते हैं।
नीला – यह रंग तपस्वियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अर्थ “कोई अधिकार नहीं” (अपरिग्रह) भी है।
स्वस्तिक
यह आत्मा के अस्तित्व की चार अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है। आत्मा का उद्देश्य खुद को इन चार चरणों से मुक्त करना और अंततः अरिहंत या सिद्ध बनना है।

वक्र/सिद्धशिला चक्र
तीन बिंदुओं के ऊपर का वक्र सिद्धशिला का प्रतिनिधित्व करता है, जो ब्रह्मांड के उच्चतम क्षेत्रों में शुद्ध ऊर्जा से बना एक स्थान है। यह नर्क, पृथ्वी या स्वर्ग से भी ऊँचा है। यह वह स्थान है जहां अरिहंत और सिद्ध जैसे मोक्ष प्राप्त करने वाली आत्माएं परम आनंद में अनंत काल तक रहती हैं। ऊपर से नीचे तक जैन धर्म की पेचीदगियों को समझते हुए झंडे को सावधानी से गढ़ा गया है। झंडा अपने अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतीक है और समय की कसौटी पर खरा उतरा है। इस अवसर पर नरेंद्र जैन ने बताया कि जिस धर्म क्षेत्र पर पचरंगी धर्म ध्वजा फैलाई जाती है वहां पर सुख शांति भाईचारा एवं धर्म प्रभावना बढ़ता है। उन्होंने बताया कि नसियां जी में स्थित 51 फुट ऊंचा ध्वज दंड यहां एक बहुत ही सुंदर ध्वज वाटिका मे समय दर्शन , सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र के प्रतीक तीन कटनी वाले पांडूक शिला पर स्थापित है। इसका निर्माण परम पूज्य आचार्य108 वसुनंदी जी महाराज की प्रेरणा से किया गया है। भारत में स्थित समस्त जैन धर्म स्थलों में सबसे ऊंचाई वाली ध्वजाओं में से एक है। इस अवसर पर जैन समाज के कैलाश चंद जैन नरेंद्र जैन नृपत्या के के जैन विजेंद्र कासलीवाल महेश चंद जैन वीरेंद्र कुमार सोनी सुभाष सोगानीअशोक पांड्या नीलेश जैन अभिनंदन जैन सहित कई धर्म प्रेमी बंधु उपस्थित थे।

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