Sunday, November 24, 2024

नेटथियेट पर अहसास-ए-ग़ज़ल

या खुदा कैसे जमाने आ गए, फैसला कातिल सुनाने आ गए

जयपुर। नेटथियेट कार्यक्रम की श्रृंखला में आज अहसास-ए-ग़ज़ल कार्यक्रम में उभरते ग़ज़ल सिंगर राजन सिंह शिखर ने अपनी मखमली आवाज़ में सुप्रसिद्ध गजलों का गुलदस्ता पेश कर मौसिकी रूबरू कराया। नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि कलाकार राजन सिंह शिखर ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत ये जूनून नही तो क्या है मै अपना करार ढूढता हॅूं, मेरी वहशतें सलामत तेरा प्यार ढूंढता हॅू से की। इसके बाद उन्होंने तेरी जुल्फ के ये साये हैं, नफस नफस पे छायें हैं और मेरा गुलशन ए मुहब्बत तो उजड चुका है जब अपनी पुरकशिश आवाज में इन गजल को सुनाया तो दर्शक वाह-वाह कर उठे और अंत में या खुदा कैसे जमाने आ गए, फैसला कातिल सुनान आ गए और घर हुआ गुलशन हुआ सेहरा हुआ, हर जगह मेरा जुनू रूसवा हुआ पेश कर अपनी गायिकी का परिचय दिया। इनके साथ देश के जानेमाने तबला वादक प. महेन्द्र शंकर डांगी ने अपनी उंगलियों का जादू दिखाकर गजल की इस महफिल को परवान चढाया। कार्यक्रम संयोजन नवल डांगी तथा कार्यक्रम में इम्पीरियल प्राइम कैपिटल के कला रसिक मनीष अग्रवाल की ओर से कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। कैमरे मनोज स्वामी, संगीत संयोजन सागर गढवाल, मंच सज्जा मनीष योगी व अंकित शर्मा नानू की रही।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article