वर्षा अक्सर अपनी मां के पास चूल्हे पर रोटी बनाते समय बगल में बैठ जाया करती थी। क्योंकि वर्षा और उसकी मां पिताजी के जाने के बाद अकेले हो गए थे। पिताजी को दिल का दौरा आया और चल बसे, मां अक्सर वर्षा को अपने बचपन की बातें बताया करती थी और वर्षा भी अपनी मां को ढेर सारी बातें सुनाया करती। चूल्हे पर रोटी बनाते समय कड़ीली पर एक चमक आ जाती तो वर्षा कहती देखो मां यह क्या हो रहा है। मां कहती कड़ीली हंस रही है । वर्षा बोलती मां तुम भी ना कुछ भी बोलती हो। ये तो आग ज्यादा हो जाती है तब कुछ चिंगारी इससे चिपक जाती है। मां नहीं वर्षा कड़ीली हंसती है। जब घर में कोई मेहमान आने वाला होता है,खाना खाने तब देखो कल जब हंसी थी। तब तुम्हारी काकी जी आई थी। देखते हैं आज कौन आता है बस मन ही मन सोचने लगी तभी बुआ जी आ गई ।अरे वर्षा रोटी बन गई क्या ?
नहीं बुआ जी अभी बन रही है। बुआ डाल ला खाना भूख लगी है। सोचा अब कौन अकेली के लिए चूला जलाएगा। सब के सब तो बारात में चले गए और मुझ बूढ़ी को छोड़ गए तभी मां थाली लेकर आ गई। बुआ अरे सुगनी, तूने अभी तक स्कूल जाना नहीं छुड़ाया इस बेलगाम वर्षा का। नहीं बुआ जी अभी तो यह महाविद्यालय भी जाएगी ऊंची पढ़ाई करने। अच्छा सुगनी तेरी मति मारी गई है क्या ? बिसना तो अब रहा नहीं, ओर तू ठहरी अंगूठा टेक। तू कहां कहां इसके पीछे महाविधालय के चक्कर काटेगी। नहीं जीजी इसने महाविधालय का फॉर्म तो मोबाइल से घर से ही भर दिया। इसके पापा ने इसे पिछले साल थोड़े-थोड़े पैसे एकत्रित कर सस्ता सा फोन दिला दिया था जिससे कि ये अपने छोटे-छोटे काम घर से ही कर सके। वर्षा इस तरह के ताने रोज सुना करती थी। उसने मन ही मन दृढ़ निश्चय कर लिया था कि वह अपने पिताजी के अधूरे सपने को पूरा करेगी। उसके पिताजी चाहते थे कि वर्षा एक शिक्षिका बने। वर्षा ने जैसे-जैसे अपनी पढ़ाई पूरी की और शिक्षिका वाली परीक्षा की तैयारी करने लगी। मां हमेशा वर्षा को प्रोत्साहित करती रहती और वर्षा लगन से मेहनत करती रही। उसने मां को नहीं बताया था कि उसकी परीक्षा का परिणाम आ गया है और वो शिक्षिका बन गई है। उसकी मां चुल्हे पर बैठे बैठे रोटी बना रही थी। मां बोली वर्षा कड़ीली हंस रही है। वर्षा बोली हंसने दो मां आज जो मेहमान घर आएगा वह हमारा जीवन बदल देगा ।तभी वर्षा को बधाई के संदेश आने लगे। मां वर्षा देख मोबाइल में लाइट जल रही है ।वर्षा अपनी मां को आलिंगन करते हुए बोली मां में सफल हुई उस परीक्षा में जिसका सपना आपने और पिताजी ने देखा था। आपकी कड़ी मेहनत रंग लाई है । मां की आंखों में खुशी के आंसू थे। वर्षा,मां और कड़ीली अब तीनों हंस रही थी।
डॉ. कांता मीना
शिक्षाविद् एवं साहित्यकार