Sunday, November 24, 2024

अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के प्रवचन से…

किसी एक के चले जाने से ज़िन्दगी नहीं रूक जाती..
मगर ये भी सच है मित्रो,
हजारों मिल जाने से भी जिन्दगी पूरी नहीं हो पाती..!

इसलिए मित्रो – हजारों ग्रन्थों और किताबों को पढ़ने से जो परिवर्तन नहीं आता, वो एक किताब को पढ़ने से आ सकता है।
मृत्यु घाट– महिने में एक बार श्मशान घाट जायें और जलती चिता को देखकर आयें। चिता देखने से जो मन में परिवर्तन आयेगा, आशक्ति कमेगी और बुरे कार्यों से विरक्ति होगी, वो ग्रन्थों और पुराणों को पढ़ने से नहीं आयेगी। आप दुनिया के तमाम शास्त्र पढ़ डालो, तमाम मजहबों और धर्म ग्रन्थों को देख लो और पढ़ लो, जीवन का सत्य समझ में आ जाये इसकी कोई गारन्टी नहीं है। गीता पढ़ो, कुराण पढ़ो, वेद पढ़ो, बाइबिल पढ़ो, जिन सूत्र पढ़ो, जीवन का यथार्थ, जीवन का सत्य समझ में आ जाये ये जरूरी नहीं है। लेकिन मृत्यु घाट पर 7 दिन, 15 दिन, 30 दिन में एक बार जाकर आओ। जीने, कमाने और जोड़ने का अर्थ समझ में आ जायेगा। इसलिए श्मशान घाट यानि मृत्यु शास्त्र। वैसे भी आज कल लोग ग्रन्थ और पुराणों को कहाँ पढ़ रहे हैं। जो ग्रन्थो को दिन भर खोलकर बैठे हैं – वो या तो दूसरों को समझाने के लिये या दूसरों की नजरो में ज्ञानी बनने के लिये इतनी मेहनत कर रहे हैं। जीवन के दो ही सत्य है — मौत और परमात्मा।
मौत हर पल तुम्हारे साथ है और परमात्मा तुम्हारी सभी हरकतों को देख रहा है…!!!
नरेंद्र अजमेरा, पियुष कासलीवाल औरंगाबाद।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article