सिद्धचक्र महामंडल विधान से 2 दिन पूर्व वायु कुमार देव ने अपना निमंत्रण स्वीकार करके पुनर्वास कॉलोनी की भूमि को स्वच्छ कर दिया मुनिश्री
सागवाड़ा। पुनर्वास कॉलोनी में सरलमना मुनि श्री आज्ञा सागर गुरुदेव संघ के सानिध्य में 1 तारीख को सिद्धचक्र महामंडल विधान प्रारंभ हुआ सुबह घट यात्रा भगवान को लेकर जुलूस के साथ ध्वजारोहण हुआ। भगवान का अभिषेक हुआ दोपहर में सिद्धचक्र महामंडल विधान की पूजन प्रारंभ हुई साधु परमेष्ठी आज्ञा सागर गुरुदेव ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहां की मेरे शिक्षा गुरु वैज्ञानिक धर्माचार्य कनक नंदी गुरुदेव के आशीर्वाद से पीठ से आते हुए मार्ग में बारिश तथा बर्फ के गोले बरसने से यहां आते समय कम गर्मी लगी। सिद्धचक्र महामंडल विधान से 2 दिन पूर्व वायु कुमार देव ने अपना निमंत्रण स्वीकार करके पुनर्वास कॉलोनी की भूमि को स्वच्छ कर दिया तथा मेघ कुमार देवों ने आकर के भूमि की शुद्धि कर दी। पूज्य श्री ने कॉलोनी की भूमि को तपोभूमि बताते हुए कहा की पुनर्वास कॉलोनी की भूमि तपोभूमि है क्योंकि मेरे गुरु आचार्य कनक नंदी ने यहां पर सबसे अधिक साधना की है। अतः यह तीर्थ भूमि है। उन्होंने कहां की आचार्य श्री के ज्ञान का प्रकाश सूर्य के प्रकाश के समान है उनके सामने मेरा ज्ञान छोटे से दीपक के समान है।
सिद्ध चक्र का अर्थ बताते हुए कहां की सिद्धो के समूह को सिद्ध चक्र कहते हैं। चक्र अनेक प्रकार के होते हैं चक्रवर्ती का चक्र दिग्विजय में सहायक होता है। संसार चक्र जीव को संसार में परिभ्रमण कराता है। परंतु सिद्ध चक्र सिद्ध भगवान के गुणों की आराधना से संसार समुद्र से पार कराता है। प्रथम दिन भगवान के 8 गुणों की पूजा की जाती है 8 कर्मों को नष्ट करके भगवान 8 गुण प्राप्त करते हैं सिद्ध भगवान के अनंत गुण होते हैं परंतु हम संसारी प्राणी अल्प बुद्धि होने से उनके अनंत गुणो की आराधना करने में समर्थ नहीं है अतः मुख्य रूप से 8 गुणों की पूजा की जाती है। दूसरे दिन भगवान के 16 गुणों के अर्थ चढ़ाए गए सिद्ध चक्र मंडल विधान करना महामहोत्सव करना है। यह महान उत्सव है। प्रार्थना आराधना विधान स्तुति सब पूजा के पर्यायवाची शब्द है। आचार्य श्री कनकनंदीजी संघ की तीनों माताजी यहां पर पधारी है।
भगवान के के गुणों का स्मरण करने के लिए पूजा की जाती है सुवत्सलमति माताजी
इस अवसर पर सुवत्सलमति माताजी ने आज प्रवचन में बताया कि भगवान के गुणों का स्मरण करने के लिए पूजा की जाती है। पूजा करने में हमारी भावों की शुद्धि होना आवश्यक है। जो हम द्रव्य चढ़ाते हैं वह जड़ है। केवल द्रव्य को इस थाली से उस थाली में चढ़ाना पूजा नहीं हैं। द्रव्य के माध्यम से हमारे भावों में शुद्धि होना आवश्यक है। आचार्य श्री ने सभी को पुनर्वास कॉलोनी मे विशेष पढ़ाया है कि अभी जो विधान मनीषा शैलेंद्र जी नगीनजी वीणा देवी,विशाल निलम परिवार द्वारा हो रहा है वह दिखावे के लिए नहीं प्रसिद्ध के लिए नहीं स्वयं की आत्मा कै कल्याण के लिए हो रहा है। मैं का अर्थ आत्मा होता है। आत्मा को केंद्र में रखकर सभी प्रकार का धर्म किया जाता है। यह आचार्य श्री ने बहुत पढ़ाया है। आचार्य श्री की पुनर्वास कॉलोनी पर बहुत अनुकंपा रही है। इस अवसर पर पुनर्वास कॉलोनी भीलुड़ा ओबरी सागवाडा वरदा आदि के अनेक लोग उपस्थित थे।
विजयलक्ष्मी जैन से प्राप्त जानकारी के साथ अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी की रिपोर्ट