कुचामन सिटी। परम पूज्य राष्ट्रसंत आचार्य श्री 108 विवेकसागर जी महाराज ने श्री नागोरी दिगंबर जैन मंदिर कुचामन सिटी में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अपने पाप पुण्य से सुख-दुख का एहसास संघ जगत के प्राणी मात्र को सुख दुख की सामग्री अपने पुण्य व पाप कर्म के कारण ही प्राप्त करते हैं। सुख की प्राप्ति पुण्य से और दुख की प्राप्ति पापों से होती है। पूरे दिन परमात्म भक्ति, स्नान पूजा, प्रवचन, प्रतिक्रमण आदि करने से, तीर्थ यात्रा का आयोजन करने से श्रावक को परमात्मा एवं चतुर्विघ ससंघ की भक्ति करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। मन में शुभ भावों से मन, पुण्य, वचन के द्वारा अन्य को आत्महित की बातें तथा अच्छी सलाह देने से वचन पुण्य व काया के साथ सेवा करते हुए अपनी शक्ति का सदुपयोग करने से काया का पुण्य होता है। पवित्र आत्माओं को नमस्कार करने से नमस्कार पुण्य का बंध होता है। उन्होंने कहा कि जगत में सभी आत्माओं का आत्म कल्याण कभी किसी भी काल में संभव नहीं है फिर भी जिन पवित्र आत्माओं के अंतर्मन में जगत के सभी जीवों के आत्म कल्याण की शुभ भावना पैदा होती है वे विशिष्ट आत्माएं तीर्थंकर नाम का पुण्यबंध करती है। अब तक प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव से महावीर स्वामी तक के काल में असंख्य आत्माएं मोक्ष को प्राप्त हुई हैं। परंतु तीर्थंकर बनकर मोक्ष में जाने का सद्भाव मात्र 24 पुण्यात्माओं को ही प्राप्त हुआ है।
मनुष्य से दो प्रकार की कर्म होती है। पुण्य कर्म और पाप कर्म। पुण्य कर्म करने वाले को पुण्य कर्म का फल मिलता है। पाप कर्म करने वाले को पाप कर्म का फल मिलता है। पुण्य कर्म करने वाले को पुण्यात्मा कहते हैं और पाप कर्म करने वाले को पापात्मा। वहीं पुण्य करने वाले को स्वर्ग मिलता है तो पाप करने वाले को नरक मिलता है।प्रत्येक व्यक्ति से कुछ न कुछ पुण्य कर्म और कुछ पाप कर्म हो जाता है। संत महापुरुष जीव हित के लिए आते हैं और मनुष्यों को कर्म का भी बोध कराते हैं। फल की इच्छा के बिना मनुष्य को पुण्य कर्म करना चाहिए अगर पिछले जन्म में भी पाप कर्म हुआ है तो उसका फल मनुष्य को भुगतना ही पड़ता है। इससे छुटकारा पाने के लिए धर्म साधना जरूरी है। क्योंकि पाप कर्मों का क्षय और पुण्य कर्म की वृद्धि होगी। प्रातःकाल सुबह 7 बजे आचार्य श्री का संघ सहित श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर डीडवाना रोड दर्शननार्थ पधार कर मुलनायक 1008 भगवान महावीर व सभी जिनबिम्बो के दर्शन किए ।