अपने विकारो पर विजय प्राप्त कर इन्द्रीय विजयी बने: आचार्य श्री
अशोक नगर। आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज ससंघ आठारह साधुओ के साथ भव्य नगर प्रवेश किया आज प्रातः काल से ही भक्तों का समूह मुनि संघ की अगवानी करने तूमैन रोड़ की ओर दौड़ रहे थे। नगर के बाहर पहुंच कर समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, सुनील अखाई, थूवोनजी कमेटी के अध्यक्ष अशोक जैन टींगू, महामंत्री विपिन सिंघाई, मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा, उमेश सिघई जैन, युवा वर्ग अरिहंत ग्रुप के साथियों ने मुनि संघ के चरणों में नमन अर्पित कर नगर प्रवेश का निवेदन किया। नगर के बाहर से ही भव्य शोभायात्रा के रूप में भव्य मंगल प्रवेश कराया गया। इस भव्य शोभायात्रा में बैन्ड बाजे, इसके बाद जैन युवा वर्ग के साथी अरिहंत ग्रुप जैन जाग्रति मंडल जैन मिलन सहित तमाम युवाओ के दल के सदस्य अहिंसा धर्म की जय भगवान महावीर स्वामी के जय करो से गूंज रहा था। यहां भव्य जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए सुभाष गंज मैदान में आकर धर्म सभा में बदल गया जहां आचार्य श्री के चित्र का अनावरण विधायक जजपाल सिंह जज्जी, समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, सुनील अखाई ने किया वहीं दीप प्रज्जवलन थूवोनजी अध्यक्ष अशोक जैन टींगू, महामंत्री विपिन सिंघाई, नपा अध्यक्ष नीरज मनोरिया, राकेश जैन इन्दौर के साथ अन्य अतिथियों द्वारा किया गया।
पूरा शहर संतों की अगवानी में पलक पांवड़े बिछाए है
समारोह को संबोधित करते हुए मध्यप्रदेश महासभा संयोजक विजय धुर्रा ने कहा कि वर्षो बाद आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज ससंघ सहित इस नगरी में पधारे हैं। हम ही नहीं पूरा शहर आज आचार्य संघ की अगवानी में उमड़ पड़ा है । युवा वर्ग के संरक्षण शैलेन्द्र श्रागर ने कहा कि आज हर दिल खिले कमल की तरह महक रहें हैं। इस दौरान शास्त्र भेंट का सौभाग्य प्रकाश चन्द्र मनोज कुमार रन्नौद संयोजक पार्श्वनाथ मंदिर कमेटी के साथ अन्य भक्तों ने प्राप्त किया। वहीं आचार्य श्री विशुद्धसागरजी महाराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य नगर गौरव मुनि श्री शुभप्रभ सागर जी महाराज के परिवार जन सौरव कुमार अतुल कुमार सिघई परिवार ने प्राप्त किया।
गर्भपात महापाप है सन्तानों को जीने का अधिकार दें
इस दौरान धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि आज समाज को जागने की आवश्यकता है। जब तुम शिशु थे तब मां के आचंल का पान करते थे मां के आंचल का तुमने विसर्जन किया है तब तुम पिता बन पाए हो लेकिन सुख भोगने में मां की सेवा को मत भूल जाना। आज क्या हो रहा है मां अपने पेट के जाऊओ को ही छोटे से भोग के लिए मौत के मूंह में धकेल देती है। आज गर्भपात की घटनाएं आम हो गई है गर्भपात महा पाप है अपनी संतानों को जीने का अधिकार दे।आज हमारी संवेदनाएं मर गई है जब पेट में पड़े जउआ को तुम मार दोगे तो समाज और संस्कृति को कौन संभालेगा। मां मन्दिर में बच्चे को छोड़ दे तो तुम उसे भगाना नहीं वे यही खेलते हुए वैराग्य को प्राप्त कर सकेंगे। आप अनार लेकर आये जव आपने रस निकाल लिया तो दाने में क्या वचा उसके छिलके को फैक दिया। इसी प्रकार दृव्यश्रुत से रस प्राप्त कर भव श्रुत को छोड़ देते हैं।
व्यवहार प्रवंधन की सत्ता है
आज जुलूस को देखकर व्यवहार की प्रवुंध सत्ता का वोध हुआ जो अनार का क्षिलका था उसे नहीं चलाना उसे छोड़ कर इसके रस का पान करें। इस दौरान उमेश सिघई, विनोद मोदी, राजीव चन्देरी, सुनील अखाई, नितिन बज, आशीष अथाइखेडा, संजीव भारिल्ल, उमेश सिघई, शैलेन्द्र श्रागर, प्रदीप तारई, अरविंद पत्रकार, अशीष बजरंगी, नरेश एडवोकेट, अजित वरोदिया, मनीष वरखेडा, राजेन्द्र अमन मेडिकल, मुकेश हार्डी, श्रेयांस घेला, प्रमोद मंगलदीप, संजय केटी, टिकंल जैन, निर्मल मिर्ची, नवीन सर, मनीष सिघई, महेश घंमडी, सुलभ अखाई, शैलेन्द्र दद्दा, मनोज रन्नौद, मनोज भोला, हेमंत टडैया आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।