जयपुर। राजस्थान संस्कृत अकादमी वैदिक हेरिटेज और पाण्डुलिपि शोध संस्थान जयपुर की ओर से पंच दिवसीय पाण्डुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला बीकानेर में हुई। इस मौके पर मुख्य अतिथि कला संस्कृति मंत्री डाॅ. बीडी कल्ला ने प्राचीन ग्रंथों का उपचार वैज्ञानिक पद्धति से किए जाने पर राजस्थान संस्कृत अकादमी के कार्यों की सराहना की। इस दौरान राजस्थान संस्कृत अकादमी अध्यक्ष डाॅ. सरोज कोचर ने कहा कि स्कूल स्तर पर प्राचीन लिपियों का ज्ञान कराया जाना अत्यंत आवश्यक है, जिससे हमारी नवीन पीढ़ी प्राचीन ग्रंथों को पढ़ सके व भारतीय संस्कृति का संरक्षण दीर्घ काल तक किया जा सके। राजस्थान संस्कृत अकादमी निदेशक डाॅ. राजकुमार जोशी ने प्राचीन ग्रंथों पर अनुसंधान कार्य किए जाने की दिशा में अकादमी के प्रयासो के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पाण्डुलिपि समन्वयक डाॅ. सुरेंद्र शर्मा नें बताया कि राजस्थान संस्कृत अकादमी नें 5000 पाण्डुलिपियों का संरक्षण कार्य किया बीकानेर में 150000 पाण्डुलिपियों पर कार्य करने का लक्ष्य तय किया है।