कुचामन। श्री दिगम्बर जैन मंदिर कुचामन में विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए सप्तम पट्टाधीश आचार्य श्री विवेक सागर जी महाराज ने अपनी मृदु वाणी में कहा कि जगत के प्राणी मन की तृप्ति चाहते हैं तन की तृप्ति तो अनेकों बार हो गई लेकिन मन की तृप्ति नहीं हुई लेकिन मन नहीं माना संसार के पदार्थो में हम संसार की तृप्ति को खोजेंगे तो नहीं होगी मन की तृप्ति के साधन को नहीं पहचान पाए। आप लोग कहते है वास्तविकता में वो भी गृहस्थ थे पुण्य के भोग के नीचे ही पाप की जड़ हुआ करती है और जब उदय में आएगा तो पाप ही आएगा पाप के उदय में भी अच्छी वस्तु भी बुरी लगती हैं। हर व्यक्ति पुण्य के फल को चाहता है पाप के फल को कोई नहीं चाहता है लेकिन पुण्य करना नहीं चाहता पाप को छोड़ना नहीं चाहता ।फल पुण्य का चाहते हैं लेकिन क्रिया पाप की करेंगे तो कभी संभव नहीं है। चित की विचित्रता अनेक प्रकार की होती है सुख का साधन जीवन के कितना अपनाने का प्रयास किया इतने बड़े बड़े जिनालय बने हैं। पूर्वजों ने तुम्हारे लिए इसलिए बनवाए कि तुम कही कुलाचार से न भटक जाए लेकिन आज आप लोगो के पास तो मंदिर आने का टाइम नहीं है घर की जमीन पर नाम चल रहा है तुम्हारा वो तुम्हे वसीयत में मिली है जिस पर किसी का नाम नहीं है वह विरासत में मिला है। संस्कार भी विरासत में मिले हुए हैं लेकिन हम उनको सुरक्षित नहीं रख सकते तो जीवन धिक्कार है श्रावक के शट कर्तव्य है देव पूजा, गुरु उपासना दो कर्तव्य मे तो सेवा का ही कहा है सेवा करने से ही मेवा मिलेगा सेवा करते समय चित्त में प्रसन्नता होगी तो जीवन आनंद से भर जाएगा सेवा के स्थान को छोड़ दोगे तो तृष्णा में पड़ जाओगे। इसलिए प्रसन्न चित्त होकर सेवा करे और मेवा पाए। श्री दिगम्बर जैन समाज कुचामन सिटी के भक्तो ने सप्तम पट्टाधीश आचार्य श्री विवेक सागर जी महाराज ससंघ के चरणों में 2023 का वर्षायोग कुचामन में हो इसी भावना से श्रीफल अर्पित करते नागोरी मन्दिर के अध्यक्ष सुमेर मल बज, कैलाश पांड्या, अजित पहाड़ियां, विमल, बिनोद, नरेशकुमार झांझरी अजमेरी मन्दिर जी से राजकुमार सेठी, सुरेन्द्र काला, श्री महावीर मंदिर डीडवाना रोड से चिरंजीलाल पाटोदी, कमल दादा, विमल चन्द पहाड़ियां, श्री जैन वीर मण्डल के सोभागमल गंगवाल, सुभाष पहाड़ियां, पवन गोधा, जैन स्कूल पलटन गेट से सन्तोष पहाड़ियां, अशोक अजमेरा व समाज के सभी गणमान्य श्रावक श्राविकाओं ने आचार्य श्री को कुचामन में वर्षायोग हेतु श्रीफल भेंट किया।