Sunday, November 24, 2024

चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागरजी का आचार्य पद प्रतिष्ठापन शताब्दी महोत्सव संपूर्ण देश में मनाया जाएगा

वर्ष 2024-2025 में होंगे भव्य आयोजन, आ. वर्धमानसागरजी के सान्निध्य में देशभर के श्रावक श्रेष्ठीयों की हुई राष्ट्रीय सभा

उदयपुर। बीसवीं सदी में दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति के प्रथामाचार्य चारित्र चक्रवर्ती 108 आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज के आचार्य पद प्रतिष्ठान का 100वां वर्ष 2024 में प्रारंभ होगा। आचार्य पद प्रतिष्ठापन के 100वें वर्ष को आचार्य पद प्रतिष्ठापना शताब्दी महोत्सव के रुप में सन् 2024-25 में भव्य विषाल स्तर पर वैचारिक आयामों के साथ संस्कृति संवर्धन, सामाजिक सरोकार के बहुउद्देषीय पंचसूत्री कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। महोत्सव के आयोजन के लिए विस्तृत रुपरेखा व कमेटी गठन के लिए परम्परा के पंचम पट्टाधीष राष्ट्रगौरव, वात्सल्यवारिधि आचार्य 108 श्री वर्धमानसागरजी महाराज ससंघ के सान्निध्य में देष के समस्त श्रावक श्रेष्ठीयों की राष्ट्रीय सभा उदयपुर के नागेन्द्र भवन में 27 मई 2023 को संपन्न हुई।

संस्ंस्कार ही संस्कृति को जीवित रखते है: आचार्य श्री वर्धमानसागरजी
विषाल राष्ट्रीय सभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री वर्धमानसागरजी महाराज ने कहा कि आचार्य शांतिसागरजी महाराज ने सन 1934 का चातुर्मास उदयपुर में किया था । उन्हीं के संस्कार उनकी संस्कृति रक्षण की भावना के संस्कार संपूर्ण देष में व्याप्त होकर जैनत्व व श्रमण दिगम्बरत्व को जीवित रखे हुए है। संस्कृति को जीवित रखने में संस्कारों का बड़ा महत्व है, आज हम सब आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज के संस्कार व उपकारों से प्रभावित है। उनका गुणगान करने उनके कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आचार्य पद प्रतिष्ठापन शताब्दी महोत्सव संस्कृति संरक्षण व सामाजिक सरोकार का माध्यम बनेगा।

बीसवीं सदी का सूयूर्य जिसने मिथ्यात्व मिटाया: मुनिश्री हितेन्द्रस्रसागरजी
संघस्थ मुनिश्री हितेन्द्रसागरजी महाराज ने आचार्यश्री के जीवन परिचय से अवगत कराते हुए कहा कि वे दक्षिण भारत से निकले ऐसे सूर्य थे जिन्होंने मिथ्याात्व की अवधारणा से मुक्ति दिलाने का कार्य किया। गर्व से कहेंगे की हम जैन है यह सूत्र हमें आचार्य शांतिसागरजी ने दिया। देशभर से आए श्रेष्ठी व उदयपुर समाजजनों की राष्ट्रीय सभा में मंगलाचरण सीमा गोधा ने किया। चित्र अनावरण व आचार्यश्री वर्धमानसागराजी का पाद प्रक्षालन सर्वश्री अषोकजी पाटनी आर.के.मार्बल, अनिल सेठी, राजेन्द्र कटारिया, संजय पापड़ीवाल आदि ने किया। स्वागत भाषण श्री शांतिलाल वेलावत उदयपुर ने दिया।

पंचसूत्रों से बदलेंगे सामाजिक परिदृष्य: प्रतिष्ठाचार्य हसमुख जैनैन
आचार्य पद प्रतिष्ठापन शताब्दी महोत्सव की प्रस्तावना रखते हुए प्रतिष्ठाचार्य पंडित श्री हसमुख जैन धरियावद ने कहा कि दुनिया को संल्लेखना का जीवन पाठ पढ़ाने वाले आचार्य शांतिसागरजी का उपकार हम भूल नहीं सकते। शताब्दी वर्ष में पंच सूत्री कार्यक्रम में आचार्य शांतिसागरजी महाराज का जीवन चरित्र जन-जन तक पहुंचाना, उनकी कीर्ति स्थापना हेतु कीर्ति फलक स्तूप निर्माण, सेवा संकूल के रुप में पाठषालाओं का निर्माण व उन्नयन, व्यायामषालाओं का निर्माण, राष्ट्रीय जनगणना में जैन लिखवाने की अनिवार्यता हेतु जागरुकता कार्यक्रम स्वावलंबन योजना के माध्यम से आर्थिक विपन्न समाजजनों का स्वरोजगार आदि प्रकल्पों हेतु सहायता देना। उच्च षिक्षा में आर्थिक बाधाओं को दूर करना आदि अनेकों आयोजन होंगे । यह वर्ष 2024 से 2025 के बीच वृहत स्तर पर मनाया जाएगा। आचार्य शांतिसागरजी के जीवन पर आधारित पंचसूत्रीय आयोजन की संक्षिप्त जानकारी से युक्त आचार्य पद प्रतिष्ठापना शताब्दी महोत्सव- 2024-25 के आकर्षक फोल्डर का विमोचन अतिथियों ने किया।

राष्ट्रीय कमेटी का गठन हुआ
शताब्दी वर्ष हेतु राष्ट्रीय कमेटी में पद्म विभूषण धर्माधिकारी डाॅ.डी.वीरेन्द्र हेगड़े धर्मस्थल व दानवीर भामाषाह श्री अशोक पाटनी (आर.के.मार्बल) को परम शिरोमणि संरक्षक मनोनित किया गया। श्री अनिल सेठी बैगलुरु की अध्यक्षता में एक विशाल कमेटी के गठन को स्वीकृति मिली। गौरवाध्यक्ष श्री दिनेश खोड़निया, श्री प्रदीप जैन (पीएनसी, आगरा), श्री राजेन्द्र कटारिया, अहमदाबाद, महामंत्री श्री राकेश सेठी कोलकाता, कार्याध्यक्ष श्री शांतिलाल बेलावत, उदयपुर, कोषाध्यक्ष श्री कैलाष पाटनी किशनगढ़, संयोजक श्री संजय पापड़ीवाल किशनगढ़, श्री सुरेश संबलावत, जयपुर को मनोनित किया गया। प्रारंभिक तौर पर रिजनल चेयरमेन श्री विनोद डोड्डनवार बेलगांव, श्री राजेश शाह उदयपुर, श्री पवन गोधा दिल्ली, श्री हसमुख गांधी इन्दौर, श्री प्रकाशचंद बड़जात्या चैन्नई, श्री जमनालाल हपावत उदयपुर को बनाया गया। राष्ट्रीय सभा को दानवीर भामाषाह श्री अशोक पाटनी आर.के.मार्बल, श्री अनिल सेठी बैगलूर, श्री विनोद डोड्डनवार बेलगांव, संजय पापड़ीवाल किशनगढ़, श्री राजेश शाह उदयपुर, श्री पवन गोधा दिल्ली, श्री प्रकाशचंद बड़जात्या चैन्नई, श्री जमनालाल हपावत उदयपुर, उदयपुर नगरनिगम उपमहापौर श्री पारस सिंघवी, श्री हेमंत सोगानी पदमपुरा, श्री प्रभुलाल जैन सलुम्बर, राजेन्द्र जैन ‘महावीर’ सनावद आदि ने संबोधित कर अनेक सुझावों से अवगत कराया। श्री अशोक पाटनी सहित सभी ने तन-मन-धन से सहयोग करने की घोषणा महोत्सव के लिए की। संचालन श्री राकेश सेठी कोलकाता ने करते हुए महोत्सव को विश्वव्यापी बनाने की बात कही। श्री अशोक पाटनी ने कहा कि ड्रायवर अच्छा हो तो सभी जुड़ते चले जाते है। श्री अनिल सेठी ने कहा कि आचार्य शांतिसागरजी के नाम पर कोई मतभेद नहीं है, सभी जुड़ेंगे और हम सफल होंगे उन्होंने चिंता व्यक्त की कि अनेकों आयोजनों के नाम पर हमारा अनाप-शनाप खर्च बंद होना चाहिए, जैन समाज के पास जो है वह अन्य किसी के पास नहीं है। श्री विनोद डोड्डनवार ने कहा कि समडोली में आचार्य पद मिला था। पूज्य कर्मयोगी स्वस्तिश्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी ने भी आचार्य पद प्रतिष्ठापन शताब्दी वर्ष महोत्सव मनाने के भाव रखे थे। श्री प्रकाशचंद बड़जात्या ने कहा कि पूरे देश में तीन करोड़ से अधिक जैन है व तीस करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देते है, सबको संगठित होना चाहिए। राष्ट्रीय सभा में गुवाहाटी, कोलकाता, इन्दौर, दिल्ली, किशनगढ़, इचलकरंजी, बेलगाम, समडोली, सलुम्बर, धरियावाद, चैन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, बैंगलुरु, राजस्थान आदि अनेक प्रदेशों से गुरु भक्तों ने सहभागिता की। सभी ने उत्साह पूर्वक शताब्दी महोत्सव को मनाने का संकल्प लिया। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के भोज में सन 1872 में जन्में बालक सातगौड़ा ने यरनाल में सन 1920 में मुनिदीक्षा ग्रहण कर सन् 1924 समडोली में आचार्य पद प्राप्त किया था। संपूर्ण देशभर में पद विहार कर उन्होंने बीसवी सदी में दिगम्बरत्व के विस्तार व जैनत्व के उन्नयन के लिए अनेकों कार्य किये। वर्तमान में 1500 से अधिक पिच्छीधारी संत उनका स्मरण कर मोक्षमार्ग पर अग्रसर है। उनकी पट्ट परम्परा के पट्टाधीष आचार्य के रुप में आचार्यश्री वर्धमानसागरजी विगत सन 1990 से उक्त पद पर शोभायमान है।

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