महाभारत कालीन पांडवों की शरण स्थली को किया जाएगा विकसित
विराट नगर। श्री पंच खंड पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी सोमेंद्र महाराज ने पंच खंडपीठ भीम गिरी पर्वत पावन धाम में आयोजित 108 कुंडिय श्री हरि हरात्मक महायज्ञ के दौरान कहा कि महाभारत कालीन मत्स्य प्रदेश की राजधानी रहे पौराणिक तीर्थ स्थल विराटनगर के श्री पंच खंडपीठ भीम गिरी पर्वत पूरे विश्व के श्रद्धालुओं और सनातनियों की आस्था और वैदिक संस्कृति के प्रचार का केंद्र होगा। उन्होंने कहा कि पांडवों के अज्ञातवास के दौरान शरण स्थली के रूप में रहे ऐसे वैभवशाली इतिहास को अपने में समेटे हुए विगत वैभव के स्वरूप में पुनर्स्थापित कर इस क्षेत्र को विकसित किया जाएगा। जहां पर युगवतार भगवान श्री कृष्ण के निर्देश पाकर उनके कृपा पात्र पांडवों ने मत्स्य प्रदेश की राजधानी विराटनगर में अपना अज्ञातवास व्यतीत करने का निर्णय लिया। जिसके अंतर्गत राजा विराट के यहां युधिष्ठिर ने दरबारी बनकर कंक नाम से, भीमसेन महाराज रसोईया बनकर बल्लव नाम से, धनुर्धारी अर्जुन नृत्य शिक्षक बनकर ब्रहन्नला के नाम से, द्रोपदी महारानी सुदेष्णा की सेविका बन शैरेन्ध्री के नाम से, नकुल ग्रंथिक नामधारी अस्वाध्यक्ष, और सहदेव गो सेवक बनकर तंतिपाल नाम से रहे। सोमेंद्र महाराज ने कहा कि वो उनके पिताश्री आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज के महान लक्ष्य की पूर्ति के लिए कृत संकल्पित है।
श्री पंच खंडपीठ पावन परंपरा के तेरहवें आचार्य है सोमेंद्र महाराज:- 19 सितंबर 2022 को पूज्य आचार्य धर्मेंद्र महाराज के गोलोक गमन के उपरांत उनकी आज्ञा और इच्छानुसार 6 अक्टूबर 2022 को उनके उत्तराधिकारी के रूप में आत्माज सोमेंद्र महाराज को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, विभिन्न हिंदू संप्रदायों, मठो, सैकड़ों आश्रमों के पूज्य प्रतिनिधि संतों की उपस्थिति में तथा विराटनगर अंचल और भारत के कोने कोने से एकत्र भक्तों के बीच विधि-विधान पूर्वक पवित्र तीर्थों के जल से अभिषेक करके श्रीमत्पंचखंडपीठाधीश्वर के पद पर विराजमान किया गया। वे इस पावन परंपरा के तेरहवें आचार्य है। इससे पूर्व इसी कुल में महात्मा गोपाल दास की 11वीं पीढ़ी में स्वामी भुरामल्ल के आत्मज के रूप में तथा माता वृद्धि देवी की कोख से मूक प्राणियों के मुक्तिदाता, परम करूणामय संत महात्मा रामचंद्र वीर का जन्म हुआ। जिन्होंने 16 वर्ष की अल्पायु में भारत भूमि की स्वतंत्रता, अखंडता, और गौ हत्या के पाप का मूलोच्छेद हो, इसी उद्देश्य से महात्मा वीर ने अन्न और लवण का सर्वथा त्याग कर देश जाति और धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने 100 से अधिक अनशन किए। जिसमें सबसे छोटा 3 दिन का और सबसे बड़ा 166 दिन का अनशन सम्मिलित है। उसके पश्चात 10 जनवरी 1942 में अमर हुतात्मा आचार्य धर्मेंद्र महाराज का अवतरण हुआ। आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज का विराट व्यक्तित्व हिंदू संगठन में उनके अद्वितीय योगदान, श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी अविस्मरणीय भूमिका, और उनकी ईश्वर प्रदत्त दिव्य प्रतिभा युक्त रचनाओं तथा कृतियों का समुचित उल्लेख करना संभव नहीं है। जिन्होंने पूरे विश्व में हिंदुत्व की धर्म ध्वजा फहराई।
यज्ञ मीडिया समन्वयक मामराज सोलंकी ने जानकारी देते हुए बताया कि आचार्य स्वामी सोमेंद्र महाराज द्वारा स्वामी रामचंद्र वीर गौशाला, स्वामी रामचंद्र वीर वेद विद्यापीठ, आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज वैदिक गुरुकुल, पावन धाम प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, स्वामी रामचंद्र वीर योग साधना केंद्र, महात्मा रामचंद्र वीर सनातन अध्ययन केंद्र, श्री पंच खंडपीठ परिक्रमा पथ, पांडव पैनोरमा सम्राट अशोक स्मृति उद्यान, भीम लता कुंड, हनुमान भगवान औषधि उपवन एवं पुष्प वाटिका, पावन धाम प्रसादम, भगवत भक्ति सेवा पट्टिका, जैसे महत्वपूर्ण कार्य कृत संकल्पित है। इसी के चलते भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए शिलान्यास एवं भूमि पूजन स्थल पर निर्माणाधीन मंदिर में योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण और उनके कृपा पात्र पांडव परिवार, द्रोपदी की मूर्तियों की प्रतिष्ठा तथा विशाल भीम गुफा में 11.6 फिट ऊंची श्री भीमसेन महाराज व देवी हिडिंबा की मूर्तियों की प्रतिष्ठा वैदिक मंत्रोचार विधि विधान से संपन्न की गई। वही श्याम बाबा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन नवनिर्मित मंदिर में की जाएगी। इसी प्रकार पावन धाम आश्रम के सत्संग भवन में श्रीमन्महात्मा रामचंद्र वीर महाराज तथा आचार्य स्वामी धर्मेंद्र महाराज की मूर्तियों को प्रतिस्ठापित किया गया। श्री पंच खंड पर्वत पर वज्रांगदेव हनुमान महाप्रभु शिखरासीन है, वंही पर्वत के मध्य पांडव कालीन प्राकृतिक गुफा में एकादश रूद्र स्वरूप में शिव भगवान की मनोहारी छटा विद्यमान है। उल्लेखनीय है कि श्री पंच खंडपीठ क्रांतिकारी धार्मिक चेतना और हिंदू संगठन की प्रेरणा के एक अद्वितीय मठ के रूप में संपूर्ण विश्व में सुविख्यात है श्री पंच खंडपीठ हिंदुओं को नवजागरण और आत्म परिष्कार का संदेश देने वाला विशिष्ट हिंदू मठ है।