Sunday, November 24, 2024

जन्मधरा पर गुरू के आगमन पर शिष्य ओर गांववासियों ने अगवानी के साथ किया अभिनन्दन

जीवो व अहसायो की सेवा ही संसार से सबसे बड़ी सेवा है: प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज

सुनिल चपलोत/सारण। जन्मधरा पर गुरू के पधारने पर शिष्य ने श्रध्दालूओ के साथ गुरू की अगवानी। सोमवार को सारण जन्मधरा श्री पुष्पावती गौशाला मे विराजमान उपप्रवर्तक अमृत मुनि डॉक्टर वरूण मुनि ने गांववासियों व श्रध्दालूओ के साथ संत शिरोमणी प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज, युवाप्रणेता महेशमुनि,बालयोगी अखिलेश मुनि आदि ठाणा के मांडा से सारण मे पधारने पर अगवानी करते हुये गुरू व संतो का अभिनन्दन किया। इस दौरान सुकनमुनि महाराज ने श्रध्दालूओ से कहा कि मानव को इस संसार के प्रत्येक जीव पर दया करनी चाहिए यही सच्चा मानव धर्म है। पर सेवा में जो सुख मिलता है वो कहीं ओर नहीं मिलने वाला। नर में ही नारायण का वास होता है। अगर व्यक्ति किसी जरूरतमंद, गरीब या असहाय की सेवा व उसकी मदद करता है तो वह ईश्वर की सेवा के समान संसार में औपचारिकता को छोड़कर हकीकत में मनुष्य अहसास तथा गौमाता की सेवा करेगा वह निश्चित उसका सुफल प्राप्त करेगा यही सच्चा मानव धर्म है। मुख बधिर जीवो ओर अहसायो की सेवा ही संसार मे बड़ी सेवा है ।इस दौरान अमृत मुनि महाराज ने कहा कि संसार मे मात पिता ओर गुरू से बढ़कर दुनिया मे कुछ भी नही है। बच्छ राज पित्लिया, विमलचन्द गांधी, लालचंद गांधी, भगवतीलाल मोगरा, वैरागी मोहित जैन, धर्मीचंद गुगलिया, हनुमंत सिह, मेघसिंह, हीरसिंह आदि अनेक जनों की उपस्थिति रही है।

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