सही सही बता दू! आजकल दाल पकाते हुए उसपर आये झाग कोई नही उतारता,सीधे कुकर में दाल हल्दी नमक पानी डाला, ढक्कन बन्द किया और उतारकर तड़का लगाया और खाने बैठ गए। अगर किसी को कहो कि ये दाल पकने पर आए झाग उतारा करो तो उल्टे आपको ज्ञान मिलेगा कि बेकूफ़ ये झाग यूरिक एसिड नही बढ़ाता बल्कि प्रोटीन होता है।तो ठीक है भाई खा प्रोटीन और आर्थो तेल की मालिश कर,बाद में घुटने बदलने की सहूलियत तो डॉक्टर देने ही लगे है। दूसरा कारण घी मत खाओ, भाई घी खाने से तेरी धमनी में जम जाएगा और अटैक से मर लेगा। तो ठीक है मत खा भाई रिफाइंड पीले। अटैक से मत मर, घुटने के दर्द वाली आसान मौत मर। ये सुखद भी होती है।
तीसरा स्विग्गी जोमैटो से मंगा मंगा कर जंक फूड खाओ,घर से बाहर निकलकर घूमने और सब्जीमंडी से सब्जी लाने वाले तो लोअर मिडिल क्लास लोग होते है।आप तो कार से सीधे जिम जाकर उल्टी सीधी कसरतें करो और जिम वाले के बताए प्रोटीन के डब्बो का सेवन कर डोले शोले बनाओ और वजन बढ़ाकर या घटाकर ऐसा कर लो कि घुटने त्राहि त्राहि करने लगे, तो क्या हुआ मिडिल क्लास का ठप्पा लगने से तो बच ही गए।और फिर मेडीक्लेम की मदद से घुटने तो बदल ही जाने है वो भी पांच सितारा हस्पताल में मिलने जुलने वाले दोस्त रिश्तेदार भी रश्क करेंगे। क्या बात कितने महंगे हॉस्पिटल में घुटने बदलवाए उत्तर कड़वा जरूर है, लेकिन दर्द से बचना है तो निगल लीजिये,सुखी रहोगे बस मिडिल क्लास और दकियानूसी होने का ठप्पा जरूर लग जायेगा। नियमित योग प्राणायाम क्रिया, एक्यूप्रेशर चिकित्सा, आयुर्वेद के नियमों का पालन हर रोग से बचाता है।
डाॅ. पीयूष त्रिवेदी, एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ