Sunday, September 22, 2024

देव शास्त्र गुरु धर्म का समागम प्राप्त कर उनके प्रति श्रद्धा बनाकर धर्म की वृद्धि करें: आचार्य श्री वर्धमान सागर जी

उदयपुर। संघ ने देश के अनेक नगरों में बिहार किया है उदयपुर में भी अनेक उप नगरों में बिहार चल रहा है आप बहुमंजिला इमारतों में रहते हैं, लेकिन तीन खंड वास्तविक मकान को आप भूल रहे हैं पहला खंड हमारी आत्मा, दूसरा खंड शरीर, और तीसरा खंड मन। इसमें आत्मा प्रथम खंड को हम भूलते जा रहे हैं यह मंगल देशना आचार्य शिरोमणि वात्सल्य वारिघि श्री वर्धमान सागर जी ने सेक्टर 4 नागेंद्र भवन की धर्म सभा में प्रकट की। ब्रह्मचारी गजू भैय्या,राजेश पंचोलिया,विनोद घाटलिया अनुसार आचार्य श्री ने बताया कि आपने लौकिक मकान में आने जाने के लिए लिफ्ट लगा ली सीढ़ी का उपयोग नहीं करते यहां तक कि देश के कई मंदिरों में लिफ्ट से आना-जाना करते हैं। आप लोग मन और शरीर के अधीन हो गए हैं। इस कारण संसार में परिभ्रमण कर रहे हैं संसार का परिभ्रमण अर्थात पराधीनता है, और संसार परिभ्रमण से छुटकारा पाना स्वतंत्रता है। पुदगल से निर्मित नश्वर शरीर इंद्रियों विषयों से आपका मन चलाएमान है। आप संसार परिभ्रमण रूपी दौड़ लगाते रहते हैं। शरीर नश्वर है अभी आप भजन गा रहे थे ओ गुरु सा थारो चेलो बनु में, हरदम तेरे साथ रहू में। आप यहां आते हैं तब कहते हम आपके चेले बन जाएं किंतु यहां से जाने के बाद भूल जाते हैं। गज्जू भया का जिक्र करते हुए कहा की वास्तविक चेले हमारे गज्जू भैया हैं जो 26 वर्षों से संघ की सेवा में लगातार हैं।कभी घर नहीं गए। ऐसा समर्पण गुरु के सानिध्य में देखने को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा आचार्य पद के बाद हमने संघ के साथ 36000 किलोमीटर से अधिक विहार किया है जिसमें गज्जू भैया ने समर्पित होकर आहार-विहार व्यवस्था जिम्मेदारी से संभाली आप धन का पालन करते हुए धनपाल जी हैं जबकि धर्मपाल होकर धर्म में वृद्धि करना चाहिए। और यही आत्मा की प्राथमिकता होना चाहिए। चातुर्मास में कलश स्थापना के लिए उदयपुर के विभिन्न सेक्टर रोजाना प्रार्थना निवेदन कर रहे हैं अभी तक देखा जाए तो आचार्य श्री शिव सागर जी, आचार्य श्री धर्म सागर जी, आचार्य अजीत सागर जी सहित पूर्व आचार्यों के सभी चातुर्मास हूंमड भवन में हुए हैं। अब उसके बाद अनेक उप नगर कॉलोनी बन गई है ।केशव नगर, सेक्टर 11, सेक्टर 4 ,सर्व ऋतु विलास,प्राचीन शहर आदि अनेक उपनगर रोजाना चातुर्मास कलश स्थापना के लिए श्रीफल चढ़ाकर निवेदन कर रहे हैं जैसे आप मीटिंग कर विचार विमर्श करते हैं संघ में भी इस विषय पर अभी निर्णय नहीं हुआ है संभवत 20 जून को कलश स्थापना दिवस को स्थान की घोषणा हो सकती है ।आचार्य श्री ने महत्वपूर्ण सूत्र में बताया कि देव, शास्त्र, गुरु, धर्म का समागम प्राप्त करते हुए, उपदेश में बताया कि आत्मा के प्रति आपकी श्रद्धा बनी रहना चाहिए धर्म की वृद्धि के लिए जरूरी है कि आप इनके प्रति निरंतर समागम प्राप्त करते रहें। आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व संघस्थ शिष्य मुनि श्री चिंतन सागर जी का उपदेश हुआ। मंगलाचरण के बाद अतिथियों एवम् मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने आचार्य श्री शांति सागर जी के चित्र का अनावरण कर दीप प्रवज्जलन किया। पुण्यार्जक परिवार द्वारा आचार्य श्री के चरण प्रक्षालन कर जिनवाणी भेट की गई शाम को भव्य महाआरती की गई। मंदिर स्थापना के 25 वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित 3 दिवसीय कार्यक्रम अंतर्गत 29 मई को श्री पार्श्व नाथ मंदिर में दोपहर को विधान होगा। संचालन राजेंद्र अखावत और गौरव गनौदिया ने किया।

संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article