दुर्लभ जैन ग्रंथ एवं शास्त्रों की रक्षा का महापर्व है श्रुत पंचमी: उपाध्याय 108 ऊर्जयंत सागर जी मुनिराज
जयपुर। श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर प्रताप नगर सेक्टर 8 में प्रवासरत उपाध्याय ऊर्जयंत सागर जी मुनिराज के सानिध्य में श्रुत पंचमी महोत्सव का आयोजन किया गया, समिति के प्रचार मंत्री बाबू लाल ईटून्दा के अनुसार आज प्रातः अभिषेक शांतिधारा, जिनवाणी पूजन के उपरांत धर्म सभा का आयोजन किया गया । इस अवसर पर जिनवाणी पूजन, आचार्य शांति सागर, आचार्य महावीर कीर्ति जी, आचार्य विमल सागर, आचार्य भारत सागर एवं उपाध्याय ऊर्जयंत सागर जी मुनिराज की पूजन गई, तदुपरान्त उपाध्याय ऊर्जयंत सागर जी मुनिराज को शास्त्र भेंट किया गया। इस अवसर पर उपाध्याय श्री ऊर्जयंत सागर जी महाराज को 2023 के चातुर्मास हेतु विभिन्न स्थानों से पधारे समाजजनों द्वारा श्रीफल भेंट किया गया, समिति उपाध्यक्ष शिखर जैन के अनुसार श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर फागीवाला समिति द्वारा, श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर समिति खवास जी का रास्ता जयपुर, दिगंबर जैन समाज दौसा एवं मोहनलाल चंद्रावती चेरिटेबल ट्रस्ट प्रताप नगर द्वारा श्रीफल भेंट किया गया। इस अवसर पर आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए पूज्य उपाध्याय ऊर्जयंत सागर जी मुनिराज कहा कि जैन धर्म में ज्येष्ठ माह, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ‘श्रुत पंचमी’ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान महावीर के दर्शन को पहली बार लिखित ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया गया था। पहले भगवान महावीर केवल उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य (गणधर) उसे सभी को समझाते थे, क्योंकि तब महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था इसीलिए उसका नाम ‘श्रुत’ था, उपाध्याय श्री ने कहा कि श्रुत पंचमी के दिन जैन धर्मावलंबियो को मंदिरों में प्राकृत, संस्कृत, प्राचीन भाषाओं में हस्तलिखित प्राचीन मूल शास्त्रों को शास्त्र भंडार से बाहर निकालकर, शास्त्र-भंडारों की साफ-सफाई करके, प्राचीनतम शास्त्रों की सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें नए वस्त्रों में लपेटकर सुरक्षित किया जाता है तथा इन ग्रंथों को भगवान की वेदी के समीप विराजमान करके उनकी पूजा-अर्चना करते हैं, क्योंकि इसी दिन जैन शास्त्र लिखकर उनकी पूजा की गई थी। धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए उपाध्याय श्री ने अपने 2023 के चातुर्मास कि उद्घोषणा करते हुए कहा कि इस बार का चातुर्मास आमेर जयपुर में होगा, परन्तु वैकल्पिक रूप में मोहन लाल चंद्रावती चेरिटेबल ट्रस्ट प्रताप नगर जयपुर भी है। इस अवसर पर आमेर, जयपुर, दौसा, ऋषभदेव, बैंगलोर से भी भक्त परिवार पधारे थे, वही जयपुर शहर से समाज श्रेष्ठि चिंतामणि बज, तारा चंद स्वीट केटर्स, नरेश पापड़ीवाल, सुखानन्द काला, राकेश काला, आर के जैन रेलवे, जिनेन्द्र गंगवाल जीतू, निर्मल धुवां वालो सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।