जैन महिला मंडल के तत्वाधान में हुए धार्मिक कार्यक्रम
विवेक पाटोदी/सीकर। सकल दिगंबर जैन समाज सीकर द्वारा शहर के समस्त जिनालयों में श्रुत पंचमी पर्व उत्साह पूर्वक मनाया गया। विवेक पाटोदी ने बताया कि इस दिन समस्त जिनालयों में धर्म शास्त्रों का विशेष रख-रखाव किया जाता है। शास्त्र भंडार से निकालकर उनकी साफ-सफाई की जाती हैं और जिल्द चढ़ा नवीन वस्त्रों में लपेटकर श्रद्धापूर्वक रखा जाता हैं, जिससे ज्ञान के साधन (शास्त्र) लंबे समय तक सुरक्षित रखे जा सकें। इसके अलावा जिनवाणी (सरस्वती) की विशेष पूजन, शास्त्र वाचन आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। जैन महिला मंडल सीकर के तत्वावधान में दीवान जी की नसियां में श्रुतपंचमी पर्व बहुत ही भक्तिभाव एवम हर्षोल्लास से मनाया गया। महिला मंडल अध्यक्ष गुड्डी जयपुरिया व मंत्री बबिता काला ने बताया कि प्रातः गाजे-बाजे के साथ प्रमुख जैन शास्त्रों को सिर पर धारण करके दीवान जी की नसियां से शोभायात्रा निकाली गई। जो जाट बाजार से प्रारंभ होकर मुख्य मार्गों से होते हुए पुनः दीवान जी की नसियां स्थित मंदिर जी पहुंची। तत्पश्चात मां जिनवाणी के जयकारों के साथ पूरे भक्तिभाव से शास्त्र जी को उच्चासन पर विराजमान कर पूजा अर्चना की गई। पंडित आशीष जैन शास्त्री के सानिध्य में भक्तिमय “श्रुत पंचमी विधान” का आयोजन किया गया। इस दौरान समस्त महिला मंडल सदस्य व समाज के धर्मावलंबी उपस्थित रहे।
श्रुत पंचमी महापर्व की विशेषता: पंडित आशीष जैन शास्त्री ने बताया कि ज्ञान को सदियों तक सुरक्षित रखने के लिए इसका लिपिबद्ध होना भी जरूरी है। अतः ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन पहली बार जैन ग्रंथ लिखा गया था। प्रति वर्ष इस तिथि को श्रुत पंचमी पर्व अर्थात जिनवाणी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन जैन आचार्य श्री धरसेन के शिष्य आचार्य श्री पुष्पदंत एवं आचार्य श्री भूतबलि ने षटखंडागम शास्त्र की रचना की थी। इसके बाद से ही भारत में श्रुत पंचमी को पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।