Monday, November 25, 2024

श्रमण संस्कृति के बहुभाषाविद श्रमण श्रीआदित्यसागर जी महाराज

श्रमण संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ चर्या शिरोमणि, आगम अध्येता आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के परम प्रभावक बहुभाषाविद शिष्य श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराजक का आज 24 मई को 37 वां “अवतरण दिवस” है। इंदौर नगर के दिगंबर जैन धर्मावलंबियों एवं मुनि भक्तों का यह सौभाग्य है कि उन्हें दूसरी बार मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज की सन्निधि में उनका “अवतरण दिवस” मनाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। पिछले वर्ष अंजनी नगर दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में जैन धर्मावलंबियों को मुनि श्री का जन्म दिवस मनाने एवं उनका गुणानुवाद करने का अवसर प्राप्त हुआ था। इस वर्ष यह अवसर अंबिकापुरी दिगंबर जैन समाज को वहां मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज के ही ससंघ सानिध्य में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान प्राप्त हो रहा है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि अधिकांश दिगंबर जैन मुनि अपना जन्म दिवस नहीं मनाते वह तो अपना दीक्षा दिवस स्मरण रखते हैं और दीक्षा दिवस को श्रमण और श्रावक मिलकर मनाते हैं। जन्म दिवस मनाना तो हम ग्रहस्थों का काम है लेकिन अंबिकापुरी में विराजित मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज के प्रति हम सबकी श्रद्धा है इसलिए अंबिकापुरी दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में नगर की दिगंबर जैन समाज स्वेच्छा से मुनिश्री का “अवतरण दिवस मना रही है।

दिनांक 24 मई 1986 को संस्कारधानी जबलपुर में जन्मे सन्मति जैन आज हम सबके बीच श्रुत संवेगी मुनिश्री आदित्य सागर जी महाराज के रूप में उपस्थित हैं और अपनी पीयूष वर्षणी वाणी से जन-जन को ना केवल जिनवाणी का प्रसाद बांट रहे हैं बल्कि ढोंग का नहीं ढंग का जीवन जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। आप एमबीए तक शिक्षित है़ और 16 भाषाओं के ज्ञाता हैं। बचपन से ही धार्मिक संस्कारों से समृद्ध होने के कारण सन्मति भैया के मन में वैराग्य का बीजारोपण हो गया और युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही वैराग्य का बीज पल्लवित पुष्पित होने पर मात्र 25 वर्ष की आयु में जब आपको अपने तन पर पहने जाने वाले कपड़े बोझ लगने लगे तो माता-पिता से आज्ञा लेकर आप आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के पास पहुंच गए और उनकी चरण वंदना कर उनसे जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान किए जाने का निवेदन किया और आचार्य श्री ने भी कुछ समय पश्चात दिनांक 8 नवंबर 1911 को सागर मध्यप्रदेश में सन्मति भैया के माता पिता और परिजनों की सहमति के बाद सन्मति भैया को जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान कर मुनि श्री आदित्यसागर बना दिया तब से आज तक आप अपने ज्ञान, अपनी आगम अनुकूल चर्या और साधना से ना केवल धर्म की प्रभावना कर रहे हैं बल्कि नमोस्तु शासन को भी जयवंत कर रहे हैं। आज के इस पावन दिवस पर हम भावना भातें हैं कि मुनि श्री का रतनत्रय सदैव कुशल मंगल रहे एवं दिन प्रतिदिन उनका मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो और हम सबको भी उनका सानिध्य और आशीर्वाद दीर्घकाल तक मिलता रहे।”अवतरण दिवस” पर मुनिश्री के चरणों में कोटि-कोटि नमन।
डॉक्टर जैनेंद्र जैन
मंत्री दिगंबर जैन समाज
सामाजिक सांसद इंदौर

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article