पारस जैन पार्श्वमणि/कोटा। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में वलल्भवाडी कोटा में धर्म की महती गंगा बह रही है। पूज्य माताजी के मुखारविंद से आनंदयात्रा, प्रातः समय अभिषेक शांतिधारा निर्विघ्न संपन्न हो रही है। माताजी अपने प्रवचनों के माध्यम से सभी श्रावकों को प्रत्येक क्रिया, संस्कृति व संस्कारों से अवगत करा रही हैं। पूज्य माताजी ने धर्मसभा में कहा कि सफलता जीवन का पहला सूत्र है। पढ़ाई हो या करियर, सफलता के लिए कोशिश सभी करते हैं लेकिन ज्यादातर लोग एक छोटी सी गलती करते हैं और बाकी बची जिंदगी न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए न्यूनतम सफलता हेतु संघर्ष करते हुए बिता देते हैं। यदि हम दिल से मेहनत करें सफलता झक मारकर हमारे पास आयेगी। हम जितनी खामोशी से मेहनत करेंगे सफलता उतना ही शोर मचायेगी। एक चिड़िया रोज अपना घोंसला बनाने के लिए तिनके इकट्ठा करती थी और एक शैतान आदमी रोज उस चिड़िया का घोंसला तोड़ देता था। ऐसा कई महीनों तक चलता रहा परंतु चिड़िया ने घोंसला बनाना बंद नहीं किया लेकिन उस शैतान आदमी ने आखिर थक हार कर चिड़िया का घोंसला तोड़ना बंद कर दिया और फिर कुछ ही दिनों में चिड़िया ने अपने घोसलें में अंडे दिए। जिनमें से प्यारे-प्यारे चिड़िया के बच्चे बाहर आए। उन नन्हें-नन्हें प्यारे बच्चों को देखकर वह आदमी भी बहुत खुश हुआ, उनकी देखभाल करने लगा, उनके लिए दाने डालने लगा। एक दिन उसने चिड़िया से पूछा कि मैं तो तुम्हारा घोंसला रोज तोड़ देता था परंतु तुमने अपना काम करना बंद क्यों नहीं किया, तो चिडिया ने कहा कि भैया आप अपना काम कर रहे थे और मैं अपना। जिस प्रकार उस छोटी सी चिडिय़ा ने मेहनत करना नहीं छोड़ी तो वह अपने कार्य में सफल हुई । वैसे ही हमें भी मेहनत से कार्य करना चाहिए। मेहनत ही सफलता का पहला सूत्र है।