अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन विद्वत्परिषद् का खुला अधिवेशन हुआ
अद्वितीय संत थे आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज: मुनि श्री सुधासागर
विद्वानों ने किया आचार्य श्री ज्ञानसागर जी और गणेश प्रसाद वर्णी जी का गुणानुवाद
बरुआसागर। अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन विद्वत्परिषद् के तत्वावधान में परम पूज्य मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज एवं क्षुल्लक श्री गंभीर सागर जी महाराज के सानिध्य में परम पूज्य आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज के समाधि दिवस श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन संस्कृत विद्यालय, जीवोदय तीर्थक्षेत्र, बरुआसागर, जिला -झांसी, उत्तर प्रदेश में 19 मई 2023 को मनाया गया। इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज व परम पूज्य गणेश प्रसाद वर्णी जी का विद्वानों द्वारा गुणानुवाद किया गया। प्रातः बेला में अभिषेक पूजन शांतिधारा के बाद विद्वानों द्वारा आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की भक्ति श्रद्धा के साथ पूजन की गई। विद्वानों द्वारा चित्र अनावरण, प्रज्ज्वलन ,मुनि श्री सुधासागर जी महाराज का पाद प्रक्षालन और शास्त्र भेंट किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन विद्वत्परिषद् का खुला अधिवेशन प्रोफेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। सारस्वत अतिथि डॉ जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर व प्राचार्य अरुण जैन सांगानेर रहे।
इस दौरान मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने कहा कि दादा गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज अद्वितीय संत थे। उनके जीवन से पावर थिंकिंग की शिक्षा लेनी चाहिए। वह 20वीं सदी के महान जैन आचार्य थे जिन्होंने कई संस्कृत महाकाव्यों की रचना की थी। उनका जीवन संघर्षपूर्ण था लेकिन वे कभी अपने पथ से डिगे नहीं, डरे नहीं। गणेश प्रसाद वर्णी जी पर बोलते हुए मुनिश्री ने कहा कि वर्णी का जैन संस्कृति, शिक्षा के उन्नयन में अतुलनीय योगदान है। वर्णी जी द्वारा खोली गई संस्थाओं के स्नातकों का दायित्व है कि वर्णी जी की संस्थाओं को पुनर्जीवित करने के लिए आगे आएं । वर्णी जी की संस्थाओं को अंग्रेजी मीडियम में परिवर्तित नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन डॉ विजय कुमार जैन महामंत्री, दिल्ली,डॉ सुरेन्द्र जैन भारती बुरहानपुर, डॉ शैलेश जैन शास्त्री ने किया।
दोपहर में आयोजित गुणानुवाद सभा में डॉ जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर, प्राचार्य अरुण कुमार जैन सांगानेर, प्रोफ़ेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी, प्रोफेसर विजय कुमार जैन नई दिल्ली, प्रोफेसर सुरेन्द्र जैन भारती बुरहानपुर, डॉ. शैलेश कुमार जैन बांसवाड़ा, पंडित संजीव जैन महरौनी, डाॅ.सुनील जैन, संचय, ललितपुर, डॉ. संतोष कुमार जैन सीकर, ब्र. अन्नू भैया ललितपुर, पंडित चंद्रेश जैन शास्त्री ग्वालियर , प्रतिष्ठाचार्य मनोज शास्त्री बगरोही, पंडित सुखदेव जैन सागर, डॉ. नीलम जैन सराफ ललितपुर, डॉ. कल्पना जैन,नोयडा आदि विद्वानों ने आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज व गणेश प्रसाद वर्णी जी के प्रति गुणानुवाद करते हुए विनयांजलि समर्पित की। सन 1933 में वर्णी जी द्वारा स्थापित बरुआसागर विद्यालय के उपस्थित पूर्व स्नातकों ने अपने संस्मरण साझा किए।
इस मौके पर डॉ. जयकुमार जैन मुजफ्फरनगर, प्राचार्य अरुण कुमार जैन सांगानेर, प्रोफ़ेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी, प्रोफेसर विजय कुमार जैन नई दिल्ली, प्रोफेसर सुरेन्द्र जैन भारती बुरहानपुर, डॉ. शैलेश कुमार जैन बांसवाड़ा, पंडित शीतलचन्द जैन ललितपुर, पंडित संजीव जैन महरौनी, डाॅ. सुनील जैन, संचय, ललितपुर, पंडित वीरेन्द्र कुमार जैन ललितपुर, पंडित नवीन कुमार जैन शास्त्री भोपाल, पंडित राजकुमार जैन शास्त्री जबलपुर, पंडित शीलचंद्र जैन पूर्व प्राचार्य बरुआसागर, पंडित जिनेन्द्र सिंघई, बड़ा मलहरा, डॉक्टर संतोष कुमार जैन सीकर, पंडित अक्षय कुमार जैन, पंडित चंद्रेश जैन शास्त्री ग्वालियर, पंडित सुरेंद्र कुमार जैन वाराणसी, सतीश जैन शास्त्री, ललितपुर, पंडित मनोज शास्त्री, बगरोही, पंडित राजेन्द्र कुमार जैन सुमन सागर, प्राचार्य विनीत कुमार जैन ललितपुर, विदुषी डाॅ. राका जैन, दिल्ली, सुखदेव जैन सागर, डाॅ. संजय जैन सागर, पंडित आलोक मोदी ललितपुर, महेन्द्र शास्त्री, सिहोनिया, जिनेन्द्र शास्त्री, मथुरा, शांति कुमार जैन, बड़नगर, अशोक कुमार जैन शास्त्री, इन्दौर, पुष्पराज जैन, ग्वालियर, पंडित सुदर्शन जैन, पिंडरई, डॉ. नीलम जैन सराफ ललितपुर, डॉ. कल्पना जैन, नोयडा, राजकुमार शास्त्री भगवा, पंडित नरेन्द्र शास्त्री बरुआसागर, अंकुश शास्त्री, दलपतपुर आदि विद्वान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। आयोजन समिति द्वारा सभी विद्वानों का शाल, श्रीफल द्वारा सम्मान किया गया। 51 दीपकों से आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की आरती की गई।