संस्थान की शिक्षक विदुषियों द्वारा चढ़ाया गया मुख्य निर्वाण लाडू
शाम को 48 दीपकों से की गई महा अर्चना
जयपुर। जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मन्दिर में भगवान के श्री चरणों में अपने समस्त दुखों की निर्वृत्ति हेतु अर्थात निर्वाण की भावना के साथ तीर्थंकर भगवान शान्तिनाथ का जन्म तप व मोक्ष कल्याण भक्ति भाव के साथ मनाया गया। प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया कि सभी ने सुबह अभिषेक शान्ति धारा के बाद सोलहवें तीर्थंकर शान्ति नाथ की की पूजन जयकारों के साथ करते हुए बोले:- श्री शांति-जिनेशं, नुत-शक्रेशं, वृष-चक्रेशं चक्रेशं। हनि अरि-चक्रेशं, हे गुनधेशं, दयाऽमृतेशं मक्रेशं।।
इसके बाद रमेश साख़ूनिया व उपस्थित श्रेष्ठी गणों ने आचार्य मानुतुंग रचित गाथा का पाठ किया ।सभी ने निर्वाण काण्ड का वाचन कर निर्वाण अर्घ बोलते हुए जयकारों के मध्य निर्वाण लाडू चढ़ाया। मुख्य निर्वाण लाडू चढ़ाने का सोभाग्य श्रमण संस्कृति संस्थान की शिक्षक विदुषियों सेजल गरिमा दीपाली को प्राप्त हुआ। इसके बाद शिविर के छटे दिन की कक्षाओं का महावीर प्रसाद शकुंतला बिंदायक्यi परिवार द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद शुभारंभ हुआ। जिसमें सो से अधिक विद्यार्थियों की उपस्थिति रही, सभी को नित्य की तरह पारितोषिक व अल्पाहार दिया गया। शाम को मन्दिर जी में 48 दीपक से विदुषियों ने महादीप अर्चना करायी।