नई दिल्ली। अ.भा.जैन पत्र संपादक संघ के तत्वावधान में श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कालका जी के मध्य 16 मई को आ.श्री श्रुतसागर जी एवं आ.श्री वसुनंदी जी के ससंघ सान्निध्य में राष्ट्र संत श्वेतपिच्छाचार्य विद्यानंद जी मुनिराज के अवदान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र एडवोकेट की अध्यक्षता में हुआ। समागत अतिथियों का सम्मान अनिल पारसदास जैन व संघपति राजेन्द्र जैन ने तिलक व दुपट्टा पहनाकर किया। गोष्ठी के सारस्वत अतिथि शास्त्री परिषद् के अध्यक्ष डाॅ. श्रेयांस कुमार एवं विद्वत्परिषद के अध्यक्ष डाॅ.वीरसागर थे। गोष्ठी में स्वस्ति भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी-मूडबिद्री, डाॅ. श्रेयास कुमार, डाॅ. वीर सागर, डाॅ. अनेकांत, डाॅ. कल्पना, डाॅ. ज्योति जैन, डाॅ. रीना अनामिका, श्रीमती पारुल जैन, डाॅ. मीना जैन तथा डाॅ. इन्दु जैन ने आचार्य श्री विद्यानंद जी के अवदान पर अपने-अपने विचार रखे। आचार्य श्रुत सागर जी व आचार्य श्री वसुनंदी जी ने अपने आशीर्वचनों में आचार्य विद्यानंद जी के अनेक संस्मरणों के माध्यम से आचार्य श्री का गुणानुवाद किया। संचालन व आभार प्रदर्शन समन्वय वाणी के सम्पादक डाॅ. अखिल बंसल ने किया। डाॅ. श्रेयांस कुमार ने आचार्य विद्यानंद जी के अवदान पर एक विशाल स्मृति ग्रंथ के प्रकाशन का सुझाव दिया जिसका सभी आगंतुकों ने समर्थन किया। मूडबिद्री के भट्टारक श्री चारूकीर्ति जी ने तुरंत स्मृति ग्रंथ प्रकाशन हेतु 51 हजार की राशि देने की घोषणा की। स्मरण रहे कि कुंदकुंद भारती भवन में सम्पन्न हुई विगत बैठक में सतीश जैन एससीजे व अनिल पारसदास ने राष्ट्रसंत श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानंद जी शताब्दी समारोह समिति के कार्य की सफलता हेतु अपनी ओर से 5-5 लाख रुपए की सहयोग राशि प्रदान करने की घोषणा की थी। अत: आप दोनों महानुभाव को इस समिति में परम संरक्षक का पद प्रदान किया गया है। संरक्षक पद हेतु 1 लाख 11 हजार की राशि निर्धारित की गई है। इस गोष्ठी के सफल आयोजन हेतु अनिल पारसदास जैन व संघपति राजेन्द्र जैन के विशेष सहयोग हेतु दोनों महानुभावों का आभार व्यक्त किया गया।