राजेश जैन दद्दू/इंदौर। किसी के भी प्रति मन में अशुभ भाव मत लाओ, मन को अच्छा रखो और इस बात का भी ध्यान रखो कि आपके मन की अशुचिता से दूसरे का मन अशुद्ध ना हो। आजकल लोग शरीर के राग में तन को सजाने में लगे रहते हैं जबकि जरूरी तन को नहीं मन को सजाना है, जिसका मन अच्छा होता है उसका सब कुछ मंगल होता है। यह उद्गार बुधवार को श्रुत संवेगी मनिश्री आदित्य सागर जी महाराज ने समोशरण मंदिर कंचनबाग में स्वर्ण वेदी स्थापना समारोह के दूसरे दिन धर्मसभा में व्यक्त किए। मुनि श्री ने आगे कहा कि पर के प्रति अशुभ सोचने से पाप का आश्रव होता है। पर को पीड़ित करने का भाव बनाकर तुम ना तो पर को पीड़ित कर पाओगे और ना कुछ बिगाड़ पाओगे लेकिन ऐसे भाव करने से तुम अपने भाव और भव जरूर बिगाड़ लोगे जिसका फल तुम्हें अवश्य भोगना पड़ेगा। अंत में ढंग का जीवन जीने की सीख देते हुए मुनि श्री ने कहा कि बिना किसी जानकारी के सुनी सुनाई बातों को सच मानकर ना तो किसी की निंदा करो, न अपशब्द बोलो और न अपवाद करो। आपके शब्द आपके भावों की अभिव्यक्ति हैं इसलिए हमेशा अच्छे शब्दों का प्रयोग करो और प्यार से बोलो। यदि तुम्हारे मन माफिक अच्छा नहीं हुआ है तो नाराज होने के बजाय इग्नोराय नमः इस सूत्र को ध्यान में रखकर उसका पालन करो जीवन सुखी हो जाएगा।
प्रारंभ में आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी के चित्र का अनावरण एवं चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन राजकुमार पाटोदी, डॉक्टर आशारानी पांड्या, डॉक्टर जैनेंद्र जैन एवं कीर्ति पांड्या ने किया। समोशरण ग्रुप ने मुनि संघ का पाद प्रक्षालन किया एवं महिला एवं बहू मंडल ने मुनि संघ को शास्त्र भेंट किए। धर्म सभा का संचालन हंसमुख गांधी ने किया। इस अवसर पर अरुण सेठी, आजाद जैन, अशोक खासगी वाला, कैलाश वेद, देवेंद्र सेठी आदि समाज के गणमान्य उपस्थित थे। प्रचार प्रमुख राजेश जैन दद्दू ने बताया कि गुरुवार को प्रातः 7:00 से नित्य नियम अभिषेक पूजन शांति धारा एवं शांतिनाथ भगवान के जन्म तप और मोक्ष कल्याण के उपलक्ष में श्री जी के समक्ष निर्वाण लाडू चढ़ाया जाएगा एवं स्वर्ण बेदी पर विराजित विश्व की सबसे बड़ी स्फटिक मणी की प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक होगा एवं मुनि श्री के प्रवचन होंगे।