Sunday, September 22, 2024

सच्चे देव-शास्त्र-गुरू की सेवा, वैयावृत्ति, दान आदि देने का असीम फल मिलता है: आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी

कोटा। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ कोटा की पावन धरा पर धर्म का परचम फहराते हुये हर कालोनी के भक्तों को अपना सान्निध्य प्रदान कर रही हैं। पूज्य माताजी ससंघ धानमण्डी में विराजमान है। धानमण्डी के भक्तों को धर्म से धन्य करते हुए पूज्य माताजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि धन्य है वह धरती जहां गुरुओं और संतों के चरण पड़ते हैं। यह अपने सातिशय पुण्य का ही प्रभाव है जिसके कारण हम संतों की सेवा कर पाते हैं। सच्चे देव-शास्त्र-गुरू की सेवा, वैयावृत्ति, दान आदि देने का असीम फल स्वर्ग आदि में अपना स्थान सुनिश्चित करना है।
माताजी ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक कुत्ता जिसके गले में पट्टा है वो पालतू है और जिसके गले में पट्टा आदि नहीं है वह फालतू है। एक कुत्ता AC की गाड़ी में घूमता है अच्छा खाता है। यहां तक की अच्छे कपड़ें भी पहनता है और एक कुत्ता गलियों में घूमता, खाने के लिए तड़पता है, तो ये सब पूर्व कर्म का ही फल है। जो कुत्ता पालतू है उसने पूर्व में दान किया होगा। देव-शास्त्र-गुरु की भक्ति की होगी पर अंतिम समय उसके भाव विपरीत हो गये जिसका फल तिर्यंच पर्याय में जन्म मिला, लेकिन दान का फल भी उसे मिला इसलिए पालतू बना। हम सब भी यदि मन से दान पूजा सेवा करेंगे तो फालतू नहीं बनेंगे। लेकिन हमें न फालतू बनना है न पालतू तो अपने भावों को संभालकर धर्म में लगाये रहे। जिससे हमारा इस मनुष्य भव में जैन धर्म पाना सार्थक हो जाये। 17 मई को प्रातः 6. 00 बजे पूज्य गुरु मां ससंघ का धानमण्डी से विहार होकर शोपिंग सेंटर में भव्य मंगल प्रवेश होगा।

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