रावतसर। यह न्यायपालिका की दूरगामी सोच का ही परिणाम है जो लोक अदालत की अवधारणा वास्तविक धरातल पर सफलतापूर्वक फलीभूत हो रही है। आपसी समन्वय एवं समझाइश के द्वारा राजीनामा के आधार पर मामले निस्तारित होने के चलते अदालतों में मुकदमों की संख्या में कमी आई है। इससे एक ओर जहां प्रत्येक पीड़ित को समय पर कानूनी उपचार मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ लोक अदालत में निपटे प्रकरणों के पक्षकारों के मध्य भाईचारा भी कायम है। आपसी समन्वय, सहनशीलता व समझाईश समय पर मिले तो वाद विवाद सरलता से निपटाए जा सकते है। इससे व्यक्ति के धन एवं समय की बचत भी होती है। लोक अदालत ऐसा ही एक माध्यम है जहां छोटे-मोटे मामले बातचीत के आधार पर निस्तारित करवाए जा सकते हैं। यह बात अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रचना बिस्सा ने विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में कही। लोक अदालत को लेकर तालुका विधिक सेवा समिति अध्यक्ष एसीजेएम बिस्सा ने एसीजेएम व जेएम न्यायालय द्वारा रेफर मामले, राजस्व विवाद एवं प्री लिटिगेशन के प्रकरणों में समझाइश की। लोक अदालत में दीवानी प्रकृति के वाद, दाण्डिक शमनीय मामले, चेक अनादरण के मामले, पारिवारिक विवाद व प्री लिटिगेशन के 149 मामले निस्तारित किए गए। इनमें 1 करोड़ 90 लाख 73 हजार 891 रुपए की अवार्ड राशि पारित की गई। इस दौरान नायब तहसीलदार पतराम गोदारा, बार अध्यक्ष पवन पारीक, अधिवक्ता एम.एल.शर्मा, बैंच सदस्य अर्जनलाल वर्मा, बलराम कस्वां, उमेश शर्मा, सुनील धारीवाल, सुरेन्द्र हुड्डा, अनिल सिहाग, संतलाल बिजारणिया, विक्रम चौधरी, लिच्छिराम छिम्पा, उमाशंकर गौड़, राजशेखर, पृथ्वीराज देहडू, रीडर नोरंगलाल काला, हरिचंद लावा, सुरेन्द्र गुलेरिया सहित न्यायिक कर्मचारी, अधिवक्ता व पक्षकारान मौजूद रहे।