36 से अधिक महिला कलाकारों ने महिला और पुरुष पात्र अभिनय से जीवंत किया नाटक
जयपुर। रंगशिल्प संस्था और महिला जागृति संघ की कलाकारों ने अपने अभिनय कि अमिट छाप से नाटक तीर्थंकर नेमिनाथ व नारायण श्री कृष्ण को जीवंत कर दिया। नाटक का लेखन शशी जैन एवं निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र शर्मा राजू ने किया। नाटक जैन धर्म के तीर्थंकर नेमिनाथ की कहानी पर आधारित था।
कथासार: नेमिनाथ एवं श्री कृष्ण चचेरे भाई हैं, तीर्थंकर पद पाने वाले दूसरे नारायण श्री कृष्ण हैं, साथ ही भावी तीर्थंकर बनने वाले नेमिनाथ जब शादी के लिए जा रहे थे तभी उन्हें पशुओं की चित्कार और क्रंदन ने इतना दुखी किया कि उन्होंने शादी नहीं कर वैराग्य धारण की बात मन में ठान ली, जब राज्य में इस बात का पता चलता है तो हाहाकार मच जाता है, धरती आकाश भी गुंजायमान होते हैं, उधर जब राजमती को इस बात का पता चलता है की उनके भावी पति नेमिनाथ वैराग्य धारण कर रहे हैं, तो वह भी उन्हीं के पद चिन्हों पर चलकर वैराग्य धारण करती है और राज सुख का त्याग कर धर्म की राह पर चलती है। नाटक में सभी पात्रों ने अपने अभिनय से पात्रों को जीवंत कर दर्शकों से वाहवाही बटोरी। कार्यक्रम का उद्घाटन विधायक अशोक लाहोटी ने किया मुख्य अतिथि सुधांशु कासलीवाल, अध्यक्षता महेश चांदवड और मनोज चांदवाड और विशिष्ट अतिथि महिंद्र पाटनी एवं ज्ञानचंद झंझरी ने कार्यक्रम में दीप प्रज्वलित किया और कलाकारों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया।
नाटक में बेला जैन, मंजू छाबड़ा, निर्मला गंगवाल, ज्योति बाकलीवाल, कृषा जैन, शारदा सोनी, शशी जैन, जयंती, निर्मला वेद, ज्योति छाबड़ा, सरिता गंगवाल, दीपिका, गरिमा, वंदना, निर्मला गंगवाल, मंजू पाटनी, विजयलक्ष्मी, सीमा, रुबी, मानसी, सुषमा, संचिता, को अंजू, दीपिका रेखा गोधा, एवं बाल कलाकार प्रार्थना, कासमी, रति, भव्य, मेघावी ने अपने अभिनय से दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी। नाटक में गायन पर सरोज छाबड़ा, कुसुम ठोलिया एवं साधना काला ने अपने स्वरों से संगीत को सजाया। कार्यक्रम की उद्घोषणा इंदु दोषी और शालिनी बाकलीवाल ने की। कीबोर्ड पर शेर अली खान और तबले पुरुषोत्तम शर्मा ने संगतकर नाटक को सफल बनाया। प्रकाश व्यवस्था जितेंद्र शर्मा की रही।