Sunday, November 24, 2024

अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी के प्रवचन से…

शाबाश इंडिया। जीवन की सबसे महंगी चीज है आपका “वर्तमान” जो एक बार चला जाये तो फिर पूरी दुनिया की “सम्पत्ति” भी दांव पर लगा दो तब भी वो वर्तमान वापिस आने वाला नहीं है। इसलिए जिन्दगी नदी नाव संयोग है। तुम्हारी जिंदगी, नाव में बैठने उतरने से ज्यादा कुछ नहीं है। नाव में बैठना जन्म है और नाव से उतरना मृत्यु। जिनसे अभी तुम्हारा परिचय है, सम्बंध है, जन्म से पहले इनसे तुम्हारा कोई सम्बंध परिचय नहीं था। और ना ही मृत्यु के बाद कोई सम्बंध परिचय शेष रहेगा। तभी तो मैंने कहा- तुम्हारी जिंदगी महज नदी नाव संयोग है। जीवन में झगड़े, अपराध, पाप तभी तक है, जब तक आँख खुली है। जीवन में भागम भाग, दौड़म दौड़ आपाधापी तभी तक है, जब तक आँख खुली है। आँख मुंदी और दुनिया खत्म, इसलिए वर्तमान के पलों को जिंदादिली के साथ जीयें, क्योंकि अतीत मरा है, भविष्य गर्भ में है, और वर्तमान हमारे हाथ में है। जो वर्तमान को भविष्य की कल्पना में खो देते हैं, वे वर्तमान के सुख को खो देते हैं। इसलिए आज जीयें, अभी जीयें, अपनी खुशी के लिये जीयें। समय तो चलता रहेगा। सवाल यही है कि तुम समय के साथ खेल रहे हो… या समय तुम्हारे साथ खेल रहा है-?

नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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