Saturday, September 21, 2024

आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ने कहा- हमें सदा सत्य बोलना चाहिए

कोटा। प. पू. भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका रत्न 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ आर के पुरम् कोटा में विराजमान है। पूज्य माताजी ने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें सदा सत्य बोलना चाहिए क्योंकि सत्य भले ही कड़वा हो पर हमारे जीवन में अच्छाईयों को विकसित करने में सहायक बनता है। अच्छी बातें करना सत्य नहीं है बल्कि किसी को उसकी बुराई बताकर उसे अच्छाई सिखाना सत्य है। सत्य बोलने से बड़े से बड़े संकट भी टल जाते हैं और बड़ी उपलब्धियों की प्राप्ति हो जाती है। एक चोर था। एक दिन उसे एक महात्मा मिले। महात्मा ने उससे कहा कि अगर वह हमेशा सत्य बोले तो उसका कल्याण होगा। चोर को यह कठिन काम नजर आया पर चूंकि वह महात्मा से बहुत प्रभावित हुआ था, इसलिए उसने उनकी बात पर अमल करने का फैसला किया। एक दिन वह राजमहल में चोरी करने गया। बाहर निकलते ही वह पकड़ा गया। द्वारपाल ने पूछा, ‘तुम इतनी रात में यहां क्या कर रहे हो?’ चोर ने कहा, ‘मैं चोर हूं और चोरी करके वापस जा रहा हूं।’ द्वारपाल को उसकी बात मजाक लगी। वह हंसने लगा। उसने चोर के हाथ में पोटली देखी तो पूछा, ‘इसमें क्या है?’ चोर बोला, ‘इसमें रानी के गहने हैं।’ द्वारपाल ने पोटली खोली तो उसमें सचमुच गहने थे। चोर को अगले दिन राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने कहा, ‘तुम जानते हो राजमहल में चोरी के लिए मृत्युदंड भी दिया जा सकता है, फिर भी तुम कह रहे हो कि तुमने चोरी की है।’ चोर ने कहा, ‘महाराज मैंने तय कर लिया है कि केवल सत्य ही बोलूंगा।’ राजा ने कहा, ‘अगर अभी भी तुम कहो कि तुमने चोरी नहीं की है तो तुम्हें माफ किया जा सकता है।’ चोर ने कहा, ‘मैं सत्य से नहीं हटूंगा।
चोरी मैंने ही की है।’ राजा ने कहा, ‘तो फिर तुम्हें सजा मिलेगी। तुम्हारी सजा यह है कि तुम आज से हमारे मंत्री रहोगे। तुमने विवशता में चोरी करना जरूर शुरू कर दिया पर तुम में सत्य को अपनाने और उस पर टिके रहने की शक्ति है। मुझे ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है। एक छोटे से नियम का पालन करने से चोर मंत्री बन गया। तो हम क्या गुणों को नहीं प्राप्त कर पायेंगे। इसलिए सभी जीवन में सत्य का आधार लेकर ही कार्य करें।

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