उदयपुर। भारतीय संस्कृति में विविध कला व अन्य पक्षों को प्रोत्साहित करने के प्रयोजन से बुध पूर्णिमा के ख़ास मौके पर विश्व गुरु विद्यापीठ परिषद की प्रधान एवं आकाशवाणी कलाकार डॉ.रचना तैलंग के द्वारा प्रस्तुत भजन संध्या में उपस्थित समस्त सदस्य और सुर रसिक जन झूमे उठे।
डॉ. तैलंग का मानना है कि विविध भारतीय विषयों और विधाओं के अनेक गुरुकुल, संस्कृति केन्द्र संग्रहालय व विरासत केंद्रों की स्थापना तथा गुरुजनों व कलाकारों के प्रोत्साहन से ही इनके मूल्यों को फिर से स्थापित किया जा सकता है। इसी संदेश को कार्य रूप देने के लिए उन्होंने भजन गाकर यह संदेश दिया है।
इस अवसर पर डॉ. रचना ने सर्व प्रथम निर्दोष लिखित व हरि ॐ शरण की गणेश वंदना प्रस्तुत की। इसके बाद निराला लिखित सरस्वती वंदना वीणा वादिनि वरदे और फिर मधुकर राजस्थानी के विरह गीत पांव पड़ूं तोरे श्याम व तेरे भरोसे की प्रस्तुति से खासी दाद पाई।
कार्यक्रम की अगली कड़ी में यूथिका राय के संकलन से मीरां भजन रचना के बाद भारती तैलंग के साथ युगल स्वर में पेश किये मीरा लागो रंग हरि… और मैं तो प्रेम दिवानी जैसी भक्ती रचनाओं के प्रवाह से श्रोताओं की भी स्वर लहरी फूट पड़ी। कार्यक्रम में उत्तरसिंह मेहता ने कृष्ण भजन, विक्रम देव पालीवाल ने कबीर भजन के अलावा डॉ. निर्मल गर्ग, प्यारेलाल गोस्वामी, सुनीता चौधरी व वैभव चौधरी ने भी सुरीले भजन पेश कर समा बांध दिया। वहीं शीतल श्रीमाली व दीपिका बागोरा की नृत्य प्रस्तुति ने भावविभोर कर दिया। गीत नृत्य प्रस्तुति में अशोक कुमार व साथी ने तबले व बाजे पर संगत की। कार्यक्रम का समापन आरती व प्रसाद ग्रहण करने के साथ हुआ।