Saturday, September 21, 2024

वो सफलता किस काम की, जो बुढ़ापे में, माँ बाप का सहारा भी ना बन सके : अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

सम्मेद शिखर जी । देश के ओजस्वी-यशस्वी माननीय प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी जी ने, नेता सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जन्म जयंती पर कहा – कैन डू एण्ड विल डू [कर सकता हूँ – करूंगा ही]। उन्होंने अनेक महापुरूषों की सफलता के राज बताये। किसी भी क्षेत्र में आपको सफल होना है तो 10 हजार घन्टे तक अभ्यास करना चाहिए। मुझे दिल्ली आने में बीसों वर्ष लग गये। चाय की शुरुआत आज विश्व की चाहत बन गई। सबकी चाहत बनने के लिये हमने अपने जीवन को सेवा, संकल्प, समर्पण, सदभाव, परिश्रम की अग्नि में झोक दिया। कंपोजर्स, बास्केट बॉल खिलाड़ी, आइस स्केटर्स, पियानो वादक, शतरंज खिलाड़ी या जो विशेषज्ञ हुये हैं, उन्होंने अपने कार्य क्षेत्र में 10 हजार घन्टे से अधिक मेहनत की है। कीर्तिमान स्थापित करने के लिये आप भी अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग करो। व्यक्ति के पास चाहे जैसा हुनर हो, या प्रकृति प्रदत्त क्षमता हो,, सफलता के लिए दीर्घ अवधि तक, एक सही दिशा में की गई साधना की दरकार होती है। गुजरात के विख्यात गणितज्ञ प्रोफेसर एन. एम. शाह से पूछा – आपकी सफलता का राज क्या है-? उन्होंने कहा – 18 घन्टे प्रतिदिन 20 साल तक न कोई रविवार, ना कोई छुट्टी, ना विश्राम। विख्यात म्यूजिक कंपोजर से यही प्रश्न पूछा-? उन्होंने कहा – 8 घन्टे हर दिन 40 वर्ष तक हम खुद से सवाल करें कि हमें 10-20-30 साल बाद कहाँ पहुँचना है-? कहने का मतलब है हमारा अन्तिम लक्ष्य जितना स्पष्ट होगा,, हमारे निर्णय उतने ही ठोस और सही दिशा में होंगे। लक्ष्य स्पष्ट न होने से हमारी सारी ज़िन्दगी दूसरे के ध्येय पुरे करने में ही गुजर जायेगी। *सफलता के लिए लक्ष्य की दिशा में दौड़ने का हुनर आना और उसे जी जान से पुरा करना बहुत जरूरी है। क्योंकि – डर से बड़ा कोई वायरस नहीं और हिम्मत से बड़ी कोई वैक्सिन नहीं…। नरेंद्र अजमेरा, पियुष कासलीवाल औरंगाबाद।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article