कोटा। परम पूज्य राष्ट्रसंत मुनि श्री चिन्मय सागर जी महाराज जंगल वाले बाबा की पावन प्रेरणा से निर्मित 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ दिगंबर जैन त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर आर के पुरम में मुनिसुव्रतनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महा महोत्सव पूर्वक हर्षोल्लास मनाया गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष महावीर जैन, महामंत्री पवन पाटौदी , कोषाध्यक्ष ज्ञानचंद जैन ने बताया कि प्रातः काल मंगलाष्टक के बाद 108 रिद्धि मंत्रों से प्रथमाभिषेक बाबूलाल जैन श्रीमती विमला जैन परिवार जन ने किया। अभिषेक के बाद मूलनायक मुनिसुव्रत नाथ भगवान पर शांतिधारा करने का अवसर कैलाश चंद –राजकुमारी जैन ने सौभाग्य प्राप्त किया। भगवान मुनिसुव्रतनाथ पाण्डुशिला पर शांतिधारा हरकचंद – पदमा जैन परिवार जन एवम माणक चंद –लाड़ देवी जैन ने पुण्यार्जन लिया। मंदिर समिति के प्रचार प्रसार मंत्री पारस जैन पार्श्वमणि ने बताया विधि विधान की क्रियाएं पंडित अभिषेक शास्त्री के सफल निर्देशन में की गई। सभी पांडु शिला एवम भुतकालीन चौबीसी पर शांति धारा जय जय कारो के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में सानंद संपन्न हुई। उसके बाद अष्टानिका पर्व विधान के मुख्य पात्रों का चयन भी किया गया। तत्पश्चात भगवान की पूजन श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा भक्ति और भाव से झूमते हुवे की गई। निर्वाण लाडू के पूर्णयार्जक टीकमचंद –प्रमिला जैन परिवारजन एवम श्रीमती चंद्रकला , सुरेश ,पंकज ,लोकेश जैन परिवारजन द्वारा चढ़ाया गया । रात्रि में भक्तामर आराधना एवम महाआरती संगीत की सुमधुर ध्वनियों के साथ झूमते नाचते हुवे 108 मंगल दीपकों से की गई।