जयपुर। राजस्थान की हृदय स्थली गुलाबी नगर जयपुर में श्री दिगम्बर जैन मन्दिर जनकपुरी ज्योति नगर के प्रथम तल पर वर्ष 2018 में एक अतुलनीय स्वर्ण आभा युक्त स्तुपाकार दर्शनीय सहस्रकूट जिनालय का निर्माण गणिनी आर्यिका गौरव मति माताजी की परिकल्पना का साकार रूप है। यह आत्म कल्याण की प्रेरणा लेने, विषय कषायो से रूचि कम करने, आदर्श पथ पर चलने और परिणामो में निर्मलता हेतु मोक्ष मार्ग पर उन्मुख होने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्त्रोत्र बन गया है।
31 फीट गोलाई तथा 16 फीट ऊँचाई के स्तूपकार सहस्र कूट जिनालय का विशाल गुम्बज और 1008 मुर्तिया के चारों और मनभावन सुनहरी चित्रकारी , चमचमाती लाइट्स, वर्गाकार आकर में चौषठ चँवर, सामने घण्टा, अखण्ड ज्योति, शिखर पर मंगल कलश शोभायमान है । सभी 1008 जिन बिम्बो की सुरक्षा पारदर्शी कवर द्वारा की गई है ।
आध्यात्मिक जगत में साधना महोदधि, अद्भुत सिंहनिष्क्रीङित व्रत उत्कृष्ट तप मौन साधक अंतर्मना आचार्य प्रसन्न सागर जी ससंघ व आर्यिका गौरव मति माताजी ससंघ के सानिध्य तथा प्रतिष्ठाचार्य प० धर्म चन्द शास्त्री के मार्ग दर्शन में 7 फ़रवरी से 12 फरवरी 2018 तक ऐतिहासिक पंचकल्याणक आयोजित हुआ. जैन समाज हमेश याद रखेगा वह दृश्य जब आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी व मुनि श्री पीयूष सागर जी ने सूर्यमन्त्र से युक्त अष्ट धातु की सोने सी चमक वाली 1008 जिन प्रतिमाओं को स्वयं ने दिन रात एक कर के जिनालय में बने 1008 नियत स्थानों पर मूर्तियों को विराजमान किया और बना दिया उस नव स्वरूपी स्तूप को स्वर्ण आभा युक्त सहस्र कूट जिनालय। इन दिव्य स्वरुप दिव्य चेतना सात्विक ऊर्जा के केन्द्रो को जिसको देखने और दर्शन करने के लिए जयपुर आने वाला हर भक्त दर्शन करना चाहता है।प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष पदम् बिलाला ने बताया की परम हर्ष का विषय है की सहस्त्रकूट जिनालय का छटा स्थापना दिवस 12 फरवरी को है। आज स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर मालपुरा के राजाबाबू सेठी द्वारा सुमधुर भक्ति संध्या सजाई गयी. कल 12 फरवरी को पंडित शिखर चन्द जैन द्वारा सहस्त्रनाम मंडल विधान के अलावा 1008 नामो के अर्घ्य चढ़ाये जाएंगे और जैन पाठशाल के बच्चो को पुरुस्कृत किये जाएगा।