सूरज मैदान पर भव्य भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का दूसरा दिन गुणी व्यक्ति की सदैव प्रशंसा होती है जया किशोरी

जयपुर । नागरमल पिस्तादेवी मणकसिया चैरिटेबल ट्रस्ट व सुरेश ग्रुप के बैनर तले आदर्श नगर के सूरज मैदान पर चल रही भव्य श्रीमद भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में बुधवार को विश्व विख्यात आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी ने कपिल भगवान की कथा, जड़ भरत की कथा, माता अनुसुईया की कथा सहित अन्य मार्मिक प्रसंगों का वर्णन किया, जिसे सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। इस मौके जया किशोरी ने शिव जी ब्याहने चले पालकी सजा के, संग-संग बाराती चले, ढोल बजाके … जैसे भजनो से वातावरण को भक्ति व उल्लास से भर दिया। इस मौके पर शिव-पार्वती विवाह प्रसंग के तहत भोले बाबा की बारात निकाली गई।

इस मौके पर आध्यात्मिक प्रवक्ता जया किशोरी ने कहा कि गुणीजन व्यक्ति की सदैव प्रशंसा व स्तुति होती है। जीवन में हम ऐसे गुणीजनों के जीवन से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। मानव की जीवन रूपी माया की प्रत्येक क्षण प्रश्नों से घिरा हुआ है। उन प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने के लिए व्यक्ति अपने लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होता है। सभी प्रश्नों के उत्तर पाप्त करने के लिए व्यक्ति को सदगुरू की आवश्यकता होती है। ऐसे सदगुरू के रूप में श्रीमद भागवत ही सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। अतः इस तरह से भागवत जी का शुभारंभ प्रश्न के द्वारा और विश्राम भी उत्तर के साथ हुआ है। इसलिए श्रीमद भागवत में संपूर्ण प्रश्नों का उत्तर विद्यमान है।

उन्होंने आगे कहा कि व्यक्ति जीवन में जिस मार्ग पर चल रहा हो, जिस क्षेत्र में भी कार्यरत हो, यदि व्यक्ति वहां पर सत्य का मार्ग ना छोड़े, असत्य, अनीति, कपट, दंभ व आलस्य से दूर रहे तो निश्चित रूप से वह पूर्ण सत्संगी है और उसे कार्यक्षेत्र में अवश्य सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने आगे कपिल भगवान की कथा की विवेचना करते हुए कहा कि कपिल भगवान के सानिध्य में माता देवहुति ने यही प्रश्न पूछा कि हे भगवान कपिल, व्यक्ति को माह दूर करने का क्या साधन है और व्यक्ति के कल्याण के कौन-कौन से साधन है। कपिल भगवान ने माता देवहुति के प्रश्नों का सुनकर कहा कि हे मां, अध्यात्म योग ही व्यक्ति के सुख व शांति प्राप्ति के लिए सबसे सुगम साधन है। उन्होंने यह कहा कि व्यक्ति के बंधन और मोक्ष का कारण केवल मन है। विषयों में आसक्त केवल मन के कारण होता है और परमात्मा में अनुरक्त होने पर ही वही मोक्ष का कारण बनता है। मै और मेरे पन के कारण व्यक्ति असत्य व अनीति का कारण बनता है, वही मान यदि अपनापन छोड़कर सबमें समान भाव रखें, सत्य का अनुशरण करे तो निश्चित रूप से व्यक्ति को सुख शांति की अनुमति होती है।

ट्रस्ट के अध्यक्ष नागरमल अग्रवाल व सचिव अरविन्द अग्रवाल ने बताया कि गुरूवार को 22 दिसम्बर क

अजामिल की कथा, विश्व रूप चरित्र, गयासुर की कथा व भक्त प्रहलाद की कथा सुनाएंगे। सह सचिव योगेश बिंदल ने बताया कि महोत्सव के तहत 23 दिसम्बर को समुद्र मंथन, वामन अवतार श्रीर जन्मोत्सव के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। कथा प्रसंग के तहत 24 दिसम्बर को भगवान श्रीकृष्ण की बाललीला, गोवर्धन पूजा व 56 भोग की झांकी सजाई जाएगी। 25 दिसम्बर को कंस वध रासलीला, गोपी-उद्धव संवाद रूकमणि विवाह प्रसंग की कथा का वर्णन होगा। महोत्सव के अंतिम दिन दिसम्बर को श्रीकृष्ण अनन्य विवाह श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र सहित अन्य प्रसंगों पर वर्णन होगा कथा रोच दोपहर 1 बजे से साम 5 बजे तक होगी।