सम्मेद शिखर जी। जैसे – जो धातु अग्नि के बिना गर्म किये मुड़ जाती है, और वह लकड़ी जो बिना पानी में डाले झुक जाती है। इसी प्रकार विनय, विवेक, समझदारी, होशियारी और बुद्धिमानी से जो लोग कार्य को अंजाम देते हैं,, वह कभी असफ़ल नहीं होते।
विनम्रता का मतलब आत्म विश्वास का अभाव नहीं होता और स्वाभिमानी का मतलब यह नहीं कि आप बहुत कॉन्फिडेंट है। बात अपनी सीमाओं और कमजोरियों को पहचान कर, अपनी जमीन पर मजबूती से बने रहने की है। यदि आप में कॉन्फिडेंट या आत्म विश्वास से भरी विनम्रता है, तो आप किसी भी मुश्किल का आसानी से सामना कर सकते हैं। और कुछ लोगों के कार्य – कर्तव्य और सलाह से लिये गये निर्णय, उनके कार्य सम्पन्न होने के बाद ही लोग जान पाते हैं। अंगार पर राख जम जाये तो उसे बुझा नहीं समझना चाहिए।
यह छह बातें आदमी की सफलताओं में बाधक बन सकती है
(1) ज्यादा अहंकार (2) अति वाचालता (3) ज्यादा होशियारी (4) दूसरों को बेवकूफ समझना (5) अपने स्वार्थ के बारे में ही सोचना (6) मित्र दोह बनकर जीना। इन से बचकर ही हम इस जीवन का आनंद उठा सकते हैं…। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद