Thursday, November 21, 2024

दीक्षा लेना विशिष्ट भावना का द्योतक – मुनि श्री उदित कुमार जी

मुमुक्षु दक्ष नखत का मंगल भावना समारोह हुआ आयोजित

सुरत । इस संसार मे जहां चारो और होड़ सी लगी हुई है।दीक्षा लेने की भावना अपने आप मे विशिष्ट होती है। चहुं और ऐश्वर्य, भौतिक सुख सम्पदा का अंबार सा लगा हुआ है ऐसे दौर में और वो भी किशोर अवस्था मे दीक्षा के भाव जगे तो यह हर दृष्टि से अद्वितीय है, श्रावक के तीन मनोरथ होते है उसमें से एक है में कब घर गृहस्थी से मुक्त हूंगा? दीक्षा की भावना होना विशिष्ट है, मुमुक्षु दक्ष नखत अपने संसार पक्षीय दादाजी अतार्थ युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी से प्रेरणा पाकर इसी राह पर अग्रसर होने जा रहा है जो कि प्रेरक व सराहनीय है। यह उद्गार आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री उदित कुमार जी ने शुक्रवार को सेलिब्रिटी ग्रीन रेजिडेंशियल सोसायटी में प्रातःकालीन व्यख्यान के अंतर्गत प्रकट किए। मुनि श्री 14 वर्षीय मुमुक्षु दक्ष नखत के मंगल भावना समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। मुनि श्री ने कहा कि सबसे श्रेष्ठ मार्ग साधुत्व का है, इस जन्म में नही तो अगले जन्म में ऐसा अवसर आना ही है। दीक्षा का चिंतन पुण्य के उदय से नही बल्कि कर्म के क्षयोत्सम से उभर पाता है। मुनि श्री ने आगे फ़रमाया कि जब हमने दीक्षा ली तब न तो मोबाइल था और ना ही टी वी था, घरों में सामान्यतया रेडियो मिलते थे। दीक्षा की भावना हमेशा रही है और रहेगी भी, हाँ दीक्षा की भावना कम रह सकती है। गरूदेव तुलसी के युग मे एक बार सन्तो की संख्या बढ़ कर 193 तक पहुंच गई थी, यह क्रम चलता रहता है। दीक्षा के भाव मन मे जग जाना भी श्रेष्ठ उदाहरण है। एक परिवार में जब तीन व्यक्ति दीक्षित होते है तो उस परिवार को पूज्यवर द्वारा महादानी की उपाधि प्रदान की जाती है। दीक्षा लेना विशिष्ट भावना का द्योतक है। आप लोग सोच रहे है कि दीक्षा लेने वाले धन्य है, लेकिन आप भी धन्य हो सकते है लेकिन यह भावना जगना भी बड़ी बात है। एक जमाना था कि दीक्षा लेने हेतु बहुत पापड़ बेलने पड़ते थे। मेवाड़ के सन्त मुनि श्री चुन्नीलाल जी, उन्होंने बहुत कष्ट सहे, मेवाड़ में आसानी से दीक्षा की अनुमति नही मिल पाती थी, इस तरह के उदाहरणों हेतु साध्वी श्री सरदारा जी का व्रत भी पढ़े। मुनि श्री ने विदासर की एक दीक्षा का भी उल्लेख किया कि किन कारणों से विदासर में होने वाली दीक्षा लाडनू में हो पाई। ऐसे न जाने कितने कितने प्रसंग हमारे धर्म संघ में उपस्थित हुए । मुनि श्री ने कहा कि दीक्षा की आज्ञा मिलने में कई बार कठिनाई पैदा हो जाती है। दक्ष ने बहुत हिम्मत का परिचय दिया। मुनि श्री ने प्रवचन सभा मे आह्वान किया कि किसी के मन मे अगर दीक्षा की भावना। प्रबल होती दिख रही है तो आचार्य प्रवर सूरत पधार ही रहे है, ये उल्लेखनीय है कि दक्ष नखत की दीक्षा आचार्य प्रवर के जनवरी में सिरियारी में प्रवास के दौरान होगी, मुनि श्री ने दक्ष को सम्बोधित करते हुए कहा कि तुम दादोसा के सान्निध्य में पहुंच रहे हो, साधु बन कर साधुता के अनुरूप तुम्हारा चारित्र दिन प्रतिदिन विकसित हो, अमूल्य चारित्र के उज्ज्वल बने, अपना अच्छा विकास करें, अच्छा निर्णय लिया है यही हमारी मंगल कामना है। इस अवसर पर कल्पना संकलेचा ने दीक्षा सम्बन्धी गीत प्रस्तुत किया, मुमुक्षु का तेरापंथ सभा सूरत के उपाध्यक्ष श्री ख्याली लाल सिसोदिया, तेरापन्थ महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती राखी बैद, तेरापन्थ युवक परिषद अध्यक्ष श्री अमित सेठिया ने मुमुक्षु दक्ष नखत का अभिनंदन किया। मंगल भावना समारोह का संचालन तेरापन्थ सभा के मंत्री अनुराग कोठारी ने किया। उल्लेखनीय है मुनि श्री के सान्निध्य में सेलिब्रटी ग्रीन सोसायटी में रविवार 27 नवम्बर को मंगल भावना समारोह आयोजित होगा।

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