अचरोल, जयपर के श्री दिगम्बर जैन देशभूषण आश्रम में 27 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक होगा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव
जयपुर। अरावली पर्वत श्रंखला में अचरोल ग्राम में स्थितश्री दिगम्बर जैन देशभूषण आश्रम में शुक्रवार को तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागर जी गुरुदेव के पट्ट शिष्य 108 सुनील सागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में आचार्य श्री आदिसागर अंकलीकर का 109 वां दीक्षा महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर समाज के गणमान्य लोगों ने भाग लिया। महोत्सव के दौरान हुए धार्मिक आयोजनों में गूंज रही भजनों की स्वर लहरियों से अचरोल गांव गूंजता रहा। सुबह धर्मसभा से पूर्व खंडाका परिवार की ओर से समाज श्रेष्ठी नेम प्रकाश खंडाका,देव प्रकाश खंडाका व संत कुमार खंडाका व उनके परिजनों सहित महानुभावों ने दीप प्रज्वलन कर, पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण किया । भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ रक्षा कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिखर चंद पहाड़िया तथा अंकली कर युवा जागृति मंच के राष्ट्रीय महामंत्री कमल कासलीवाल एवं न्यायाधिपथी वी के चांदीवाला ने धर्मसभा में पहुंच कर आचार्य श्री का
आशीर्वाद प्राप्त किया एवं आचार्य आदिसागर अंकलीकर गुरू महाराज को विनयांजलि अर्पित की। उक्त जानकारी देते हुए प्रचार संयोजक रमेश गंगवाल ने बताया आचार्य देशभूषण जी महाराज आचार्य सन्मति सागर जी महाराज एवं वृषभसेना माता जी की प्रतिमा आज देशभूषण आश्रम में आचार्य गुरुदेव की पावन निश्रा में स्थापित की गई।
आचार्य श्री ने श्रावकों को धर्मसभा में संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री आदिसागर जी महाराज का 109 वां दीक्षा दिवस का यह पावन दिवस हम सभी के लिए अनुकरणीय दिवस है,इस पावन दिवस पर हम सभी को आचार्यश्री के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। ज्ञानवान,तपस्या की मूर्ति कहे जाने आचार्यश्री का जीवन प्रेरणा स्रोत हम सभी को अध्यात्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। आचार्यश्री ने अपने ज्ञान के बल पर जैन धर्म की पताका को फहराया। इस पावन दिवस पर हम सभी को आचार्यश्री के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को सफल बनाना चाहिए। आचार्यश्री ने आगे कहा कि तपस्वी सम्राट आचार्य आदिसागर अंकलीकर महाराज का जीवन हम सभी को ज्ञानवान व संयम के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है,इस पावन दिवस को मनाना तभी सार्थक होगा,जब हम आचार्यश्री के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को धर्म के मार्ग में लगाकर इस मनुष्य भव को सफल बनावें। मध्याह्न काल में आचार्य आदि सागर अंकलीकर विधान आचार्य भगवंत की पावन निश्रा में सम्पन्न हुआ। मुख्य संयोजक रूपेन्द्र छाबडा ने बताया कि 27 नवम्बर से पंचकल्याणक महोत्सव विभिन्न धार्मिक आगमोक्त क्रियाओं के साथ आरम्भ होगा। महोत्सव के प्रथम दिन गर्भकल्याणक पूर्वार्ध की क्रियाएं होगी। महोत्सव के दूसरे दिन 28 नवम्बर को गर्भ कल्याणक उत्तरार्ध की क्रियाएं सम्पन्न होगी।