अचरोल । अरावली पर्वत श्रंखला में अचरोल ग्राम मे स्थितश्री दि० जैन देषभूषण आश्रम में जयकारों के बीच ,24 नवंबर 2022 को तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागर जी गुरुदेव के पट्ट शिष्य 108 सुनील सागर जी महाराज ससंघ का गुरूवार को जयकारों के साथ मंगल प्रवेश हुआ। 27 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक पंचकल्याणक प्रतिष्ठामहोत्सव व विश्वशान्ति महायज्ञ आचार्य श्री के सानिध्य में संपन्न में होने जा रहा है। इस दौरान आसपास का ईलाका गुरुवरों के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। आयोजन से जुडे़ नेम प्रकाश खंडाका,देव प्रकाश खंडाका व संत कुमार खंडाका ने बताया कि आज सुबह आचार्य श्री ने अपने संघ के साथ लबाना गांव से , अचरोल, स्थित जैनाचार्य देषभूषण आश्रम व श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर के लिए विहार किया। संघ विभिन्न मार्गों से होता हुआ अचरोल, स्थित जैनाचार्य देषभूषण आश्रम पहुंचा,जहां पर आयोजक परिवार की ओर से समाजश्रेष्ठी नेम प्रकाश खंडाका,देव प्रकाश खंडाका व संत कुमार खंडाका और परिवारजनों ने गुरुवर की आरती उतारी व पाद प्रक्षालन कर संघ की अगवानी की। इसके बाद संघ ने मंदिर में विराजमान श्रीजी के दर्शन किए। पश्चात श्रीजी कें पंचामृत अभिषेक के बाद धर्म सभा हुई। इस अवसर पर खंडाका परिवार की ओर से नेम प्रकाश खंडाका,देव प्रकाश खंडाका व संत कुमार खंडाका व उनके परिजनों तथा मुख्य संयोजक ने दीप प्रज्जवलन,चित्र अनावरण करते हुये ,महोत्सव के लिए आचार्यश्री को श्रीफल भेंट किया।
इस मौके पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि कभी खुशी का माहौल तो कभी गम का माहौल है, और जहां पंचकल्याणक हो रहा है,वह अचरोल है। जीवन में जब भी देव शास्त्र और गुरु का भक्ति का मौका मिले,उसका लाभ अवश्य लेना चाहिए। आचार्यश्री ने आगे कहा कि जीवन में देव,शास्त्र और गुरु की भक्ति करने से जीवन के गम भी सरगम में बदल जाते है। यदि गम को मिटाना है तो देव,शास्त्र व गुरु की भक्ति अवश्य करो औ इनके चरणों में जाओ और संयम और आचरण पाकर जीवन को मंगलमय बना लो।
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक रूपेन्द्र छाबड़ा ने बताया कि आचार्य श्री ससंघ के सानिध्य में शुक्रवार को सुबह 8 बजे आचार्य आदिसागर अंकलीकर का 109 वां दीक्षा महोत्सव मनाया जाएगा। इस मौके आचार्यश्री के विषेष प्रवचन होंगे। उक्त जानकारी देते हुये प्रचार संयोजक रमेश गंगवाल ने बताया कि 27 नवम्बर से पंचकल्याक महोत्सव विभिन्न धार्मिक आगमोक्त क्रियाओं के साथ आरम्भ होगा। महोत्सव के प्रथम दिन गर्भकल्याणक पूर्वार्ध की क्रियाएं होगी। महोत्सव के दूसरे दिन 28 नवम्बर को गर्भ कल्याणक उत्तरार्ध की क्रियाएं सम्पन्न होगी। 29 नवम्बर को महोत्सव के तहत जन्मकल्याण महोत्सव मनाया जाएगा। इस मौके पर जन्म कल्याणक की शोभायात्रा व पांडुक शिला पर जयकारों के बीच इन्द्र इन्द्राणियों द्वारा कलश होंगे। सन्ध्या समय भगवान का पालना व बालक्रीड़ा की क्रियाएं सम्पन्न होंगी।महोत्सव की सभी क्रियाएं प्रतिष्ठाचाय्र पंडित महावीर जी गींगला उदयपुर व जयपुर के डाॅ.सनत कुमार जैन एवं ब्रह्मचारी विनय भैया सम्पन्न करवायेगे ।