Monday, November 25, 2024

तत्वों के ज्ञान के बिना दुःखों से मुक्ति संभव नहीं : डॉ सुनील संचय

मुंबई में राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया शोधालेख
जैनदर्शन में वर्णित हैं सात तत्त्व

ललितपुर। नगर के युवा मनीषी डॉ सुनील जैन संचय ने शिरशाड मुंबई में आचार्य वसुनंदी जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में सौमैया विद्या विहार विश्वविद्यालय मुंबई के तत्वावधान में आयोजित आगमनिष्ठ राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी में ‘तत्त्व का स्वरूप एक अनुचिंतन, तच्च सारो के परिपेक्ष्य में’ शोधालेख प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत करते हुए डॉ सुनील जैन संचय ने कहा कि तत्वज्ञान को जीवन में उतारकर ही सच्चे अर्थ में उन्नति हो सकती है। तत्वों के ज्ञान के बिना दुखों से मुक्ति संभव नहीं है, ऐसा जैन दर्शन का दृढ़ विश्वास है। तत्वों के यथार्थ ज्ञान से मानव का पदार्थ विषयक संशय दूर होता है। संशय दूर होने से श्रद्धा होती है। शुद्ध श्रद्धा होने से मानव पुनः पाप नहीं करता है। जब पुनः पाप नहीं होता, तब आत्मा संवृत्त होता है। संवृत्त आत्मा तप के द्वारा संचित कर्मों का क्षय करके कमशः तथा समस्त कर्मों का पूर्ण क्षय करके अंत करके मोक्ष को प्राप्त होता है।
आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज ने ‘तच्च सारो’ग्रन्थ प्राकृत भाषा में लिखकर बहुत बड़ा उपकार किया है। इस कृति का प्रणयन कर आपने प्राकृतवाङ् मय की श्रीवृद्धि में महनीय योगदान किया है। पूज्यश्री ने 156 अनुष्टुप छंद काव्यों में यह ग्रंथ लिखा है जो अत्यंत ही रोचक है। सात तत्वों को सरल-सुगम एवं हद्रयग्राही भाषा शैली में प्रकट किया है। अध्यात्म और दर्शन के कठिन और दुरूह विषयों को भी अपनी अनूठी माधुर्यमय शैली में प्रस्तुत किया है।
उन्होंने कहा कि जैनदर्शन में जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष ये सात तत्त्व हैं।जैन दर्शन में तत्व का आधारभूत और महत्वपूर्ण स्थान है। जीवन का तत्व से और तत्व का जीवन से परस्पर एवं प्रगाढ सम्बंध रहा है। तत्व को जानने वाला, वस्तु संदर्भ समझने वाला, स्व-पर भेद जानने वाले तत्वज्ञानी को कोई दुखी नहीं कर सकता और तत्वज्ञान से अनुपयोगी जीव को सुखी नहीं किया जा सकता। इस मौके पर संगोष्ठी के निर्देशक प्रोफेसर जयकुमार उपाध्ये श्रवणवेलगोला( कर्नाटक), संयोजक प्रतिष्ठाचार्य मनोज शास्त्री आहार, प्रो जिनेंद्र जैन उदयपुर, डॉ सुरेन्द्र जैन भारती बुरहानपुर, डॉ अनिल जैन जयपुर, डॉ सुद्धात्म प्रकाश मुंबई, डॉ अरिहंत मुंबई, डॉ पंकज इंदौर, डॉ शैलेष जैन, डॉ राजेश शास्त्री, मुकेश शास्त्री, प्राचार्य विनीत, अखिलेश शास्त्री, संजय भैया, पंडित कमल कोलकाता, डॉ आशीष, डॉ बाहुबली आदि प्रमुख विद्वान उपस्थित रहे।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article