गलतियों के शोधन का नाम है उन्नति और पुनः वृत्ति नहीं करने का नाम है क्षमा :अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सांगर जी

सम्मेद शिखर जी । हम अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। हम गलती के प्रति ग्लानि महसूस कर सकते हैं। जो हमने किया है, या जो हमसे हुआ है उसके लिये नहीं, बल्कि जो कुछ हुआ है वो चाहे हमारे कारण से हो या किसी दूसरे के कारण से, हम अपने विवेक के द्वारा उस कृत्य को मन और चेतना के स्वभाव को जानकर, विशाल दृष्टिकोण अपनाकर उस कृत्य से सीख सकते हैं।

गलती का अर्थ सिर्फ यह है कि तुम एक सबक सीखने का अवसर चूक गये। अपनी गलती पर विलाप मत करो। उससे शिक्षा लो कि तुम्हारी परख गलतियों से नहीं बल्कि तुम्हारी पहचान गुणों से है। गलतियां संसारिक है, सद्गुण परमात्मा प्रदत उपहार है। समझदार वही है जो गलतियों से सीखता है। कम बुद्धि वाला अपनी गलती का दोषारोपण दूसरे पर करेगा। मूर्ख एक गलती को बार बार करेगा और कभी नहीं सुधरेगा। इसलिए गलती सुधारने में आप कभी पीछे मत रहना बल्कि सुधारने में हमेशा तैयार रहना। गलती हो, उसे सहज स्वीकार करो और गलत फ़हमी हो, तो उसे दूर करो ।
संकलन : नरेंद्र अजमेरा, पियुष कासलीवाल औरंगाबाद