कृत निश्चय उत्तिष्ठ सफलता के लिए, पहले मन का निश्चय करें :अन्तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी

सम्मेद शिखर जी। किसी भी कार्य की सफलता के लिए संकल्प की सिद्धि होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शारीरिक शक्ति से ज़्यादा, मनःस्थिति को तैयार करना बहुत ज़रूरी है। शरीर बल कम हो काम चल जायेगा लेकिन आत्म बल या मनोबल कमजोर हो तो दस पापड़ भी नहीं तोड़ पायेंगे। जीवन की सफलता सत्सकंल्प पर निर्भर करती है । यदि आपको खुद की क्षमताओं पर यकीन नहीं है, तो दूसरे कैसे करेंगे-? हर सफलता के लिये सावधान होना बहुत ज़रूरी है। सावधान होना है अपने आलस प्रमाद से, दूसरों के कटाक्षों से, उपेक्षाओं से, ये सब होगा, निमित्त भी मिलेंगे। परन्तु मन को इन सबसे प्रभावित नहीं होने देना। अन्यथा आपके अपने ही लोग तो यही चाहते हैं कि तुम जैसे हो वैसे ही रहो। इसलिए आप जो भी कार्य करें, वो जी जान से करें, क्योंकि आज का युग शत प्रतिशत परिणाम देने का युग है। अब तो 95-99 का आंकड़ा भी बेकार हो गया है। बात 100 पर भी पूरी नहीं होती। अब सफलताओं के मीठे फल उन्हीं को चखने मिलेंगे जो 100 को भी लांघेंगे। शत प्रतिशत सफलता के लिये – तप, त्याग शिक्षा, परिश्रम, इमानदारी, समर्पण, तन्मयता का योग भी जोड़ना होगा। इसलिए जो अपने संकल्प और समर्पण के साथ लगातार मेहनत करते हैं, वे अपने कल को बेहतरीन तरीके से बदल लेते हैं।
संकलन : नरेंद्र अजमेरा, पियुष कासलीवाल औरंगाबाद