• हीरा चन्द बैद
दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी राजस्थान के करौली जिले के हिंडौन उपखंड में गंभीर नदी के तट पर स्थित है यहां भूगर्भ से प्रगट भगवान महावीर की बहुत ही अतिशय कारी प्रतिमा है । सिद्धांत चक्रवर्ती आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी मुनिराज सन 1991 में जब महावीर जी पधारे तब उन्होंने अपने प्रवचन में यह भाव व्यक्त किए थे कि दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी जो लगभग 400 वर्षों से विश्व के कोने-कोने में तीर्थंकर भगवान महावीर के संदेशों को पहुंचाने में प्रभावी कार्य कर रहा है और जो देश के धर्मानुयायियों को एकता व अखंडता के सूत्र में निर्बाध रूप से बांधे हुए हैं। तीर्थंकर भगवान महावीर की अतिशय कारी प्रतिमा का अखिल भारतीय स्तर पर कोई ऐसा भव्य समारोह आयोजित किया जाना चाहिए जो आगे आने वाले शताब्दियों तक श्रमण संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखें। आचार्य श्री के इस उद्बबोधन को क्षेत्र कमेटी ने गंभीरता से लेते हुए इस प्रतिमा के निर्माण काल की जानकारी के लिए विशेषज्ञों की राय जानना चाहा और इसी क्रम में आरकेलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर एम .सी. जोशी ने पूर्ण वैज्ञानिक ढंग से जांच करने के उपरांत भगवान महावीर की अतिशय कारी प्रतिमा को 11वीं शताब्दी का होना बताया ऐसा प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी मुनिराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्राप्त कर प्रबंध कारणी कमेटी दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी ने भगवान की मूलनायक प्रतिमा का सहस्त्राब्दी समारोह 1 फरवरी से 8 फरवरी 1998 तक विशाल स्तर पर आयोजित करने का निर्णय लिया आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डॉक्टर मुनीष जोशी ने इस बात के लिए भी कमेटी को सावचेत किया कि सेंड स्टोन से निर्मित यह प्रतिमा 1000 वर्ष प्राचीन है और इसकी सुरक्षा के हित में इसका अभिषेक करना निश्चित रूप से बंद करना चाहिए । इसी संदर्भ में सहस्राब्दी समारोह में अंतिम बार भगवान महावीर की मूलनायक प्रतिमा के1008कलशों से अभिषेक करने के पश्चात नित्य अभिषेक बंद कर दिए गए यही कारण रहा की सहस्त्राब्दी समारोह में भगवान महावीर की प्रतिमा के अभिषेक के लिए होड़ मच गई राजस्थान ही नहीं देश के कोने कोने से एवं विदेशों से भी श्रद्धालु इस समारोह में अभिषेक करने की भावना के साथ श्री महावीरजी आये थे इसके लिए 250 बीघा भूमि पर विभिन्न आकार के टेंटों का वैशाली जनपद के नाम से अस्थाई नगर बसाया गया था । 8 दिवसीय समारोह में अनुमान के अनुसार श्रद्धालुओं की संख्या कम ही रही थी। श्रीमहावीरजी के इतिहास में पहला अवसर था जब भगवान महावीर स्वामी की रथयात्रा कटले के दरवाजे से निकल कर पश्चिम दिशा यानी औषधालय की तरफ से गम्भीर नदी के पुल पर होती हुई नदी के पार मेला स्थल तक गयी थी। महावीर स्वामी की मूलनायक प्रतिमा जी के 1008 कलशों से सीमित जल से अभिषेक किये गये थे। तब के बाद अब महामस्तकाभिषेक समारोह में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी की प्रतिमा के अभिषेक करने का स्वर्णिम अवसर आया है। हिण्डोन के पास जमीन की खुदाई में प्राप्त तीन फुट ऊंची विमलनाथ भगवान एवं पुष्पदंत भगवान की प्रतिमाओं का शुद्धीकरण हुआ था। ये प्रतिमाएं मुख्य मन्दिर परिसर में प्रवेश करते ही दायें व बाएं तरफ आमने – सामने स्थापित है।
ध्यान केन्द्र का उद्घाटन:-
मुख्य मन्दिर के नीचे बर्तन भण्डार के रूप में उपयोग मे ले रहे स्टोर को जब गौर से देखा गया तो वहां लाल पाषाण के पूर्व में निर्मित मन्दिर की जानकारी हुई , उसी स्थान पर आधुनिक साज सज्जा के साथ निर्मित ध्यान केन्द्र का उद्घाटन भी इस समारोह में हुआ था। उद्घाटन की श्रंखला में ही 2000 यात्रियों के एक साथ ठहरने की क्षमता वाले यात्री निवास एवं 400 व्यक्तियों के एक साथ बैठकर भोजन करने की क्षमता वाले भोजनालय का भी उद्घाटन हुआ था।
समारोह में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत अनिता जैन – दिल्ली, कनक प्रभा हाडा – जयपुर, अनूप जलोटा -मुम्बई के भजनों का कार्यक्रम एवं कत्थक नृत्यांगना प्रैरणा श्रीमाली, एवं लीला सेमसन के शास्त्रीय एवं कत्थक नृत्य के कार्यक्रम एवं गीतकार, संगीतकार एवं गायक रविन्द्र जैन – मुम्बई के के कार्यक्रम के अलावा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में देशभर से आए लगभग एक दर्जन से अधिक कवियों ने अपनी प्रस्तुति दी।
प्रदर्शनी:-
10 बीघा भूमि पर चांदनपुर के महावीर, शाकाहार, जैन पुस्तक मेला एवं राजस्थान सरकार के विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। यात्रियों की सुविधा के लिए अस्थाई बाजार भी लगाया गया था। इन सभी के अलावा अखिल भारतीय स्तर पर महिला सम्मेलन, प्रतिभा स्नेह गोष्ठी, विभिन्न पुरस्कारों का वितरण समारोह, सम्मान समारोह भी आयोजित किए गए थे।
भगवान महावीर सहस्त्राब्दी समारोह के समय वर्ष 1998 में दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी के निम्न पदाधिकारी थे:-
अध्यक्ष: श्री नरेश कुमार सेठी, उपाध्यक्ष:श्री विजय चन्द जैन, श्री भंवरलाल अजमेरा, संयुक्त मंत्री: श्री बलभद्र कुमार जैन, कोषाध्यक्ष: श्री नानगराम जैन। कार्यकारिणी सदस्य: श्री सुभद्र कुमार पाटनी, ज्ञान चन्द खिन्दूका, श्री रामचन्द्र कासलीवाल, श्री जमनादास जैन, श्री तेजकरण डण्डिया, डा. गोपी चन्द पाटनी, श्री राजकुमार काला, श्री पदम चन्द तोतूका, श्री सूरजमल बैद,साहू अशोक कुमार जैन, श्री तारा चन्द जैन, श्री नवीन कुमार बज, श्री हरक चन्द सरावगी, श्री कैलाश चन्द कासलीवाल, श्री मिलाप चन्द जैन, श्री पूनमचंद शाह, श्री प्रकाश चन्द जैन, श्री महेन्द्र कुमार पाटनी, श्री कमल चन्द सौगानी,श्री नरेन्द्र कुमार जैन, श्री ललित कुमार जैन, डा. हुक्म चन्द सेठी, श्री हेमन्त सोगानी।
हीरा चन्द बैद
एस-21, सरदार भवन
मंगल मार्ग बापू नगर, जयपुर
मोबाइल: 9828164556