तीर्थ के दर्शन कर आनंद आ गया : अजय कटारिया
तीर्थ क्षेत्र में महा मंडल रचाने का महत्व कई गुना है:विजय भइया
अशोक नगर । बहुत सारे विधान किए लेकिन दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी में पहली बार सिद्धो की महा आराधना रुप सिद्धचक्र महा मंडल विधान हम कर रहे हैं इस तीर्थ के कण कण से आनंद वर्ष रहा है जिस जिनालय में कदम रखो वहीं पैर थम जातें हैं जिधर देखो उधर विशाल प्रतिमा ही प्रतिमा यें नजर आती है प्रकृति की गोंद में बसा यह तीर्थ महा तीर्थ की ओर अग्रसर है बस इस तीर्थ को प्रतिक्षा है तो मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज की पहले से ही उनकी प्रेरणा से सहस्त्र कूट के साथ अशीम कालिन भक्तामर मंडल विधान की घोषणा कर दी है । आज केकड़ी निवासी जयपुर प्रवासी श्रावक श्रेष्ठी अजय कटारिया परिवार, उम्मेदमल लोकेश पांड्या जयपुर, नरेश रावका परिवार जयपुर सहित अन्य भक्तों ने अशीम कालिन भक्तामर में नाम दर्ज कराये है उक्त आश्य के उद्गार श्री सिद्धचक्र महा मंडल विधान सभा को सम्बोधित करते हुए प्रतिष्ठा चार्य विजय भइया ने व्यक्त किए । इसके पहले जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति धारा भइया जी के श्री मुख से हुई । दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी कमेटी के प्रचार मंत्री विजय धुर्रा ने कहा कि आज हमारे बीच परम पूज्य गुरुदेव मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज के परम भक्त उम्मेदमल पांड्या, अजय संजय कटारिया, नरेश रावका अपने पूरे परिवार के साथ पधारें है दर्शनोदय तीर्थ कमेटी आपका अभिनन्दन करते हुए आपको क्षेत्र का परम संरक्षक बनाने का भाव कर रही है । हमारे संरक्षक मनोज कुमार, नीरज कुमार भोला स्टूडियों परिवार के भाव महा आराधना के बने और विजय भइया ने इसे आकार दिया हम महा आराधना में चौंसठ रिद्धि मंत्रों के साथ प्रभु चरणों में अर्ध समर्पित कर रहे हैं इसके पहले पुण्यर्जक परिवार के साथ भक्तों ने मंडल पर शान्ति कलश व मंगल कलशों की स्थापना की।
जगत कल्याण के लिए महा शान्ति की
इसके पहले थूवोनजी के खड़े बाबा भगवान आदिनाथ स्वामी का महाभिषेक सौधर्म बनकर अजय, विजय, संजय कटारिया जयपुर, इंसान इन्द्र
उत्तमचन्द पांड्या जयपुर, सनत इन्द्र नरेश रावका जयपुर, माहेन्द्र इन्द्र प्रमोद बाकलीवाल ने बनकर जगत कल्याण की कामना के लिए महा शान्ति धारा की। इस दौरान मनोज भोला, संजीव श्रंगार सहित अन्य भक्तों ने भी सौभाग्य प्राप्त किया । इस दौरान भक्तों की जय जय कार के बीच भगवान का एक सौ आठ रिद्धि मंत्रों से अभिषेक किया गया ।इस दौरान छत्र और चमर भी भक्तों द्वारा प्रभू के दिव्य दरवार में समर्पित किए गए ।