मंगलाचरण भक्तामर अनुष्ठान से होगा, विद्या सागर यात्रा संघ देगा प्रस्तुति
लाखों की संख्या में पहुंचेंगे श्रद्धालु
जयपुर । संपूर्ण विश्व को अहिंसा और जीओं और जीने का संदेश देने वाले जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान श्री महावीर स्वामी की भू गर्भ से प्रकटित, अति मनोज्ञ और अतिशय कारी प्रतिमा के आगामी 27 नवम्बर से होने वाले महामस्तकाभिषेक महोत्सव का मंगलाचरण श्री भक्तामर अनुष्ठान से होगा। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण शामिल होंगे। प्रचार संयोजक विनोद जैन ‘कोटखावदा’ ने बताया कि यह आयोजन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के प्रारम्भ होने के एक दिवस पूर्व बुधवार, 23 नवंबर को दोपहर 1.15 बजे मुख्य मंदिर परिसर में आयोजित होगा। यह आयोजन वात्सल्य वारिधि परम पूज्य आचार्य प्रवर श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य और श्राविका श्रेष्ठ श्रीमति सुशीला पाटनी धर्मपत्नि अशोक पाटनी आर.के मार्बल्स परिवार किशनगढ़ के निर्देशन में संपन्न होगा। इस अनुष्ठान का प्रभार श्री विद्यासागर यात्रा संघ जयपुर के प्रमुख मनीष चौधरी जयपुर को दिया गया है। इस अनुष्ठान की समस्त मंगल क्रियाए उनके मार्गदर्शन में संपन्न होगी। चौधरी ने बताया कि इसमें पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के मुख्य पात्रो को सपरिवार आमंत्रित किया गया है । इस आयोजन में दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी के अध्यक्ष सुधांशु कासलीवाल, मानद् मंत्री महेन्द्र कुमार पाटनी, कोषाध्यक्ष विवेक काला सहित महोत्सव समिति के पदाधिकारियों सहित समाज के गणमान्य श्रेष्ठीजन भी इसमें सम्मिलित होगे।
महोत्सव समिति के प्रचार प्रसार संयोजक विनोद जैन ‘कोटखावदा’ ने बताया कि इस मंगलाचरण से पूर्व जैन समाज के विश्व के तीन महामस्तकाभिषेक के आयोजनों का मंगलाचरण श्री भक्तामर अनुष्ठान से हुआ है और तीनों ही अनुष्ठान धर्म की महती प्रभावना के साथ सम्पन्न हुये है। श्रवणबेलगोला में परम पूज्य वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी और भट्टारक चारूकीर्ति स्वामी जी के सानिघ्य में तथा श्री दिगम्बर जैन मंदिर संघी जी सांगानेर जयपुर एवं श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र ज्ञानोदय नारेली अजमेर में परम पूज्य निर्यापक श्रमण श्री 108 सुधासागर जी महाराज के मंगलमय सानिघ्य में संपन्न हो चुके है। ये तीनों भक्तामर अनुष्ठान श्राविका श्रेष्ठ सुशीला पाटनी के कुशल निर्देशन और मार्गदर्शन में श्री विद्यासागर यात्रा संघ, जयपुर द्वारा संपन्न कराये गये हैॅ। श्री महावीरजी अतिशय क्षेत्र में मंगलाचरण स्वरूप होने जा रहे इस अनुष्ठान में भी श्रीमति सुशीला पाटनी का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
अनुष्ठान कार्यक्रम की निर्देशिका सुशीला पाटनी ने बताया कि श्री मानतुंगाचार्य द्वारा रचित भक्तामर की जैन धर्म में बहुत बडी महिमा बतायी गयी है । दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदयों में इसका बहुतायात से प्रयोग किया जाता है। यह काव्य बंसततिलका छंद में रचित है इसमें 48 छंद है प्रत्येक छंद में 4 पंक्तियां, 56 अक्षर 84 मात्रायें है। प्रत्येक पद्य में ‘‘म-अ-न-त-र-अ’’ अर्थात ‘‘मंत्र’’ रूप में आवश्यक रूप से दृष्टिगोचर होते है अर्थात प्रत्येक छंद मंत्र रूप में श्री मानतुंगाआचार्य ने अपनी साधना से रचा है यही कारण है कि इसका प्रयोग ना केवल रोग शोक दूर करने में ,अपितु सभी शुभ कार्यो के मंगलाचरण स्वरूप में किया जाता है। जैनैत्तर लोग भी श्री भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का पाठ करते हैं।