उदयपुर । विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र, उदयपुर ने गाँव आमीवाडा के राजीव गाँधी सेवा केन्द्र पर “केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती का विस्तार” परियोजना के अंतर्गत प्राकृतिक खेती विषय पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजित किया। इसमें झाड़ोल क्षेत्र के आस-पास के गाँव के 165 किसानों एवं विस्तार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। आदिवासी बहुल क्षेत्र जहाँ खेती और पशुपालन ही आजीविका का मुख्य आधार है। वर्तमान में खेती में कम जोत कम हो रही है ऐसे में कम लागत से अधिक लाभ केवल कृषि में नवाचार करना, अनुसंधान के परिणाम से प्राप्त वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग एवं प्राकृतिक खेती करना ही एकमात्र विकल्प है। प्राकृतिक खेती पद्धति से फसलों को उगाने में किसी भी प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशकों इत्यादि के प्रयोग के बिना सफल एवं सतत् खेती कर किसान जहर मुक्त खाद्यान्न का उत्पादन कर सकता है। इस तरह किसान खेती में उत्पादन लागत को बहुत ही कम या शून्य कर अपने परिवार की आय को बढ़ा सकता है। साथ ही समाज के अन्नदाता के रूप में स्वस्थ भोज्य पदार्थ उपलब्ध करवा कर ‘स्वस्थ भारत – समृद्ध परिवेश’ के स्वप्न को भी साकार करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
मुख्य फसल की लागत का मूल्य सह फसल के उत्पादन से निकाल लेना और मुख्य फसल शुद्ध मुनाफे के रूप में लेना ही ‘प्राकृतिक खेती’ है। इसमें खेती के लिए आवश्यक कोई भी संसाधन बाजार से नहीं खरीदते है। इन सभी संसाधनों की उपलब्धता घर में, खेत में या गांव में ही हो जाती है।
प्राकृतिक खेती के मुख्य पाँच स्तंभ जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन, वाफसा, सह-फसल एवं प्रकृति में उपलब्ध संसाधन से कीटनाशकों के निर्माण के महत्व पर प्रकाश डाला। एक ग्राम देशी गाय के गोबर में 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं जबकि विदेशी नस्ल की गाय के गोबर में केवल 78 लाख जीवाणु ही होते हैं। 1 देशी गाय के गोबर व गोमूत्र से 30 एकड़ की खेती आसानी से की जा सकती है।
प्राकृतिक खेती के सम्बंधित विभिन्न फिल्म का प्रदर्शन कर प्राकृतिक खेती के सभी आयामों को बनाने और उसके उपयोग की पूर्ण जानकारी दी गई और प्राकृतिक खेती पर कृषकों के अनुभव से रूबरू हुए एवं उन्होंने अपनी जिज्ञासा का उत्तर सुनकर समाधान प्राप्त किया और प्राकृतिक खेती सम्बंधित साहित्य भी किसानों का वितरित किया गया। विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र, उदयपुर से डॉ. प्रफुल्ल चन्द्र भटनागर, डॉ. भगवत सिंह चौहान एवं संजय धाकड़ प्राकृतिक खेती पर किसानों से रूबरू हुए और अन्त में केन्द्र के तरफ सतत् सहयोग के साथ सभी को धन्यवाद अर्पित किया गया।