Sunday, November 24, 2024

जिंदगी में किसी सुदामा के कृष्ण बनों, नहीं बन पाएगा कोई विभीषण- समकितमुनिजी

सहायता व सेवा करें लेकिन किसी का स्वाभिमान नहीं हो आहत

दो दिवसीय प्रवचनमाला कृष्ण-सुदामा चरित्र का समापन

भीलवाड़ा/ कोटड़ी । सुनील पत्नी 18 नवम्बर। जिंदगी कृष्ण बनने का सुअवसर सबको देती है। तुम भी किसी सुदामा के लिए कृष्ण बन सकते हो। जिंदगी में किसी एक सुदामा के कृष्ण अवश्य बनो। सुदामा के कृष्ण नहीं बनने पर समय आने पर सुदामा दूसरों के हो जाते है। तुम अपने भाई व मित्र का ध्यान नहीं रखोंगे तो दूसरे उसे अपने पाले में लेने के लिए तैयार है। आप किसी के कृष्ण बने तो वह आपको पूरी जिंदगी दुआ देगा। ये विचार आगम मर्मज्ञ, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शुक्रवार को यहां चारभुजानाथ मंदिर प्रांगण में आयोजित दो दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘दोस्ती की अमरकथा कृष्ण-सुदामा चरित्र’ के अंतिम दिन व्यक्त किए। उन्होंने कृष्ण-सुदामा चरित्र से जुड़े विभिन्न पहलूओं की चर्चा करते हुए कहा कि मित्रता छोटा-बड़ा, उंच-नीच कुछ भी नहीं केवल भावना देखती है और इसकी कोई सीमा नहीं होती है। इसीलिए सुदामा की भेंट दो मुट्ठी चावल पर द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण ने दो लोक कुर्बान कर दिए। कृष्ण भगवान चाहते थे मित्र में कोई अंतर नहीं रहे इसलिए वह सुदामा बन जाना और सुदामा को अपना जैसा बना लेना चाहते थे। मुनिश्री ने कहा कि हम एक परिवार के कृष्ण भी बने तो कोई विभीषण नहीं बन पाएगा। जहां भी जरूरत हो सहायता व सेवा करें लेकिन ये ध्यान रखे कि उससे सुदामा का स्वाभिमान आहत नहीं हो। भगवान कृष्ण ने जिस तरह बिना कुछ बताए अपने मित्र को दो लोक भेंट कर दिए उसी तरह की सेवा हम करनी चाहिए। समकितमुनिजी ने कृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसंग का चित्रण करते हुए जब ‘‘अश्रु जल से पैर धो रहे जग के पालनहार, चावल की पोटली ले आए मोहन घरद्वार’’ गीत प्रस्तुत किया तो सैकड़ो श्रावक-श्राविकाओं ने उनके साथ सुर मिलाते हुए माहौल भाव व भक्ति से परिपूर्ण बना दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ऐसे विराट व्यक्तिव थे जिनमें लगता सारे गुण आकर समाहित हो गए। वह सबके लिए जीए और सबके लिए करते हुए आगे बढ़े इसी कारण आज भी दुनिया में उनके गीत गाए जाते है। उन्हांेंने कहा कि सिर्फ अपने पेट व पेटी की चिंता करते हुए ऐसे ही सोए रहे तो दूसरे हम पर हावी होते जाएंगे। गलती हम कर रहे है हो सकता भुगतान आने वाली पीढ़ियों को करना पड़े। पूज्य समकितमुनिजी ने कोटड़ी श्रीसंघ की सराहना करते हुए कहा कि श्रीसंघ ने दो दिन के प्रवास में ही चातुर्मास जैसा माहौल बना दिया। उन्होंने सभी के लिए मंगलकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि महासाध्वी मनोहरकंवर व अन्य साध्वी मंडल के दर्शन कर आत्मीय खुशी हुई। रविन्द्रमुनिजी म.सा. की आत्मीयता को शब्दों से बयां नहीं किया जा सकता। प्रखर वक्ता रविन्द्रमुनि नीरज ने कहा कि मन में हमेशा भले विचार रखे एवं संत सेवा में तन को समर्पित करें। धन से जितना हो सके दान व पुण्य का कार्य करे। उन्होंने कहा कि कृष्ण महाराज जैसी पुण्यवानी किसी की नहीं हो सकती। उस महापुरूषार्थी के जीवन से सीख सकते है कि अभाव में होते हुए भी चेहरे पर किस तरह मुस्कान रह सकती। मित्रता किसी तरह निभाई जाती यह कृष्ण महाराज से सीख सकते है। धर्मसभा में साध्वी एश्वर्यप्रभा म.सा. ने कहा कि क्रोध, मान व माया से बचे इनके कारण गुरू के वचनों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। गुरू की शिक्षा ग्रहण करने पर भीतर की चेतना जागृत होती है। विनय रखने वाले का सारा ज्ञान सफल होता है जबकि अविनय सब ज्ञान पर पानी फेर देता है। उन्होंने गीतिका अंतर से विनयवृति जिसने स्वीकारी भी प्रस्तुत की। गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा.ने कृष्ण-सुदाम चरित्र पर आधारित गीत अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पर सुदामा गरीब आ गया है कि भावपूर्ण प्रस्तुति दी। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा., महासाध्वी मनोहरकंवरजी म.सा.,साध्वी ज्ञानकंवरजी म.सा, साध्वी प्रियदर्शनाजी म.सा., साध्वी ऐश्वर्य प्रभा जी मसा आदि ठाणा का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में जैन कॉन्फ्रेंस वैयावच्च योजना के नवनियुक्त प्रान्तीय अध्यक्ष मुकेश डांगी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह प्रयास करेंगे कि साधु-साध्वियों की सेवा में किसी तरह की कमी नहीं रह पाए और जिनशासन की भावना के अनुरूप कार्य कर सके। प्रान्तीय अध्यक्ष नियुक्त होने पर मुकेश डांगी का कोटड़ी श्रीसंघ की ओर से भी सम्मान किया गया। श्रीसंघ की ओर से धर्मसभा में मौजूद जैन कॉन्फ्रेंस जीव दया योजना की प्रान्तीय महिला अध्यक्ष अंजू चपलोत का भी स्वागत किया गया। जैन संस्कृति तीर्थ की ओर से महावीर कच्छारा, आनंद चपलोत, मुकेश डांगी आदि ने कोटड़ी के पोखरना परिवार के भंवर लाल पोखरना का श्रेष्ठ सेवाएं देने पर अभिनंदन किया। कोटड़ी श्रीसंघ के अध्यक्ष नवरतनमल पोखरना, प्रवक्ता शान्ति लाल पोखरना एवं चातुर्मास समिति के अध्यक्ष धर्मेन्द्र डांगी ने भी विचार व्यक्त करते हुए पूज्य समकितमुनिजी म.सा. से फिर कोटड़ी की धरा पावन करने की विनती करते हुए यहां प्रवास के दौरान कोई अविनय-असाधना हुई हो तो उसके लिए क्षमायाचना की। शांति जैन महिला मंडल भीलवाड़ा की अध्यक्ष स्नेहलता चौधरी ने भी विचार व्यक्त किए। शुरू में यश सिद्ध महिला मंडल भीलवाड़ा की सुनीता डांगी एवं मेघा भंसाली ने गीत ‘मेरी जिंदगी संवारी मुझको शरण में लाकर’ प्रस्तुत किया। आभार श्रीसंघ के अध्यक्ष नवरतन मल पोखरना, मंत्री वीरेन्द्र लोढ़ा, धर्मेंद्र डांगी ने जताया। संचालन कोटड़ी श्रीसंघ के प्रवक्ता शांतिलाल (बबलू) पोखरना ने किया।

दोपहर में शिवनगर के लिए किया मंगलविहार

पूज्य समकितमुनिजी म.सा., भवान्तमुनिजी म.सा. एवं जयवंतमुनिजी म.सा. ने शुक्रवार दोपहर कोटड़ी के शीतल भवन स्थानक से शाहपुरा मार्ग स्थित शिवनगर के लिए मंगलविहार किया। उन्हें श्रावक-श्राविकाओं के साथ प्रखर वक्ता रविन्द्रमुनिजी म.सा., महासाध्वी मनोहरकंवरजी म.सा. आदि ठाणा ने आत्मीय भाव से विदाई दी। मंगलविहार में उनके साथ कोटड़ी के साथ भीलवाड़ा से आए कई श्रावक-श्राविकाएं भी शामिल थे। शिवनगर में रात्रि प्रवास के बाद शनिवार सुबह समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा बोरड़ा के लिए मंगलविहार करेंगे। उनके विहार करते हुए दो दिवसीय प्रवास पर रविवार सुबह शाहपुरा पहुंचने की संभावना है।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article