Sunday, November 24, 2024

जीवन में दुःख कम करने हो तो इच्छाओं पर लगाओं लगाम : समकितमुनिजी

संतुष्टि की सीमा तय किए बिना नहीं हो सकती सुख की प्राप्ति

कोदूकोटा रोड पर निजी फार्महाउस पर धर्मसभा

भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । जीवन के अंदर सुखशांति का साम्राज्य लाना हो तो अतिरिक्त से मुक्त हो जाना चाहिए। अति से यदि रिक्त हो गए तो आनंदमय हो जाएंगे। जीवन की सारा परिश्रम व भागदौड़ अतिरिक्त के लिए चलती है। अतिरिक्त शौहरत, धन व जायदाद पाने के लिए भागदौड़ करते है। इस अतिरिक्त से यदि रिक्त नहीं होंगे तो ये भागदौड़ समाप्त नहीं होगी ओर जीवन का मैच नहीं जीत पाएंगे। ये विचार आगममर्मज्ञ, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने बुधवार को कोदूकोटा रोड स्थित इलेक्ट्रिक डीलर्स एसोसिएशन के फार्महाउस पर आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त तो वह होता जो कई बार जीता-जीताया मैच भी हरा देता है। जब तक अतिरिक्त से पीछा नहीं छूटेगा एवं इसके चुंगल से मुक्त नहीं होगा तब तक जितना समय आत्मकल्याण व धर्म के लिए निकालना चाहिए नहीं निकाल पाएंगे। मानव जीवन एक वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ है तो अतिरिक्त के चुंगल से बाहर निकलो और कहीं ने कहीं अपनी सीमा तय करों। मुनिश्री ने कहा कि एक सीमा तय होगी तो आगे बढ़ने की संभावना कम होगी लेकिन सीमा तय नहीं की तो कभी संतुष्टि नहीं होगी एवं कितना भी मिले वह आपको सुख शांति नहीं दे पाएगा। संतुष्टि का भाव जीवन में आने पर अतिरिक्त से धीरे-धीरे मुक्त होना शुरू होता है। दुःखों को कम करना हो तो अतिरिक्त को कम कर दो। उन्होंने कहा कि दुःखों को कम नहीं करके इच्छाओं को कम करना है। इच्छाएं कम होगी तो दुःख स्वतः कम हो जाएंगे। आवश्यकता सीमित होने पर दुःख भी सिमटते चले जाएंगे। सुख शांति के वातावरण में जीना है तो इच्छाओं को कम करें। इच्छाओं को बढ़ाते रहने पर दुःख भी बढ़ते जाएंगे। समकितमुनिजी म.सा. ने आयोजन के लाभार्थी पीपाड़ा एवं पारख परिवार की भक्ति व सेवा भावना को सराहते हुए कहा कि नरेन्द्रजी पीपाड़ा एवं प्रकाशजी पारख ने चातुर्मास में नियमित सेवाएं देकर धर्म का खूब लाभ प्राप्त किया।

संत-साध्वी के समक्ष बैठे तो हाथ में हो मुखवस्त्रिका

प्रखर वक्ता रविन्द्रमुनिजी म.सा. ने कहा कि स्थानकवासी परम्परा की पहचान मुखवस्त्रिका है। हर श्रावक जब भी साधु-साध्वी के समक्ष बैठे तो उसके हाथ में अवश्य साफ-सुथरी मुखवस्त्रिका होनी चाहिए। उन्होंने समकितमुनिजी म.सा. से निवेदन किया कि जब भी राजस्थान को स्पर्श करते हुए गुजरे तब भीलवाड़ा को विशेष स्थान दे। आपके आगमन के समय में भी आसपास रहा तो अवश्य स्वागत के लिए मौजूद रहूंगा। धर्मसभा में जयवंतमुनिजी ने प्रेरक गीत ’’जिनवाणी सुनकर अंतरमन को खोलना, क्या खोया क्या पाया है कुछ बोलना’’ की प्रस्तुति दी। नीतू पारख एवं किरण सेठी ने स्वागत गीत की प्रस्तुति दी। कोटड़ी श्रीसंघ के प्रवक्ता शांतिलाल पोखरना ने सभी श्रावक-श्राविकाओं से पूज्य समकितमुनिजी आदि की वाणी श्रवण करने के लिए 17 व 18 नवंबर को कोटड़ी पधारने की विनती की। धर्मसभा का काव्यमय भक्तिभाव से ओतप्रोत संचालन ललित लोढ़ा ने किया।

पीपाड़ा एवं पारख परिवार ने किया स्वागत

धर्मसभा के बाद मुनिश्री का दोपहर तक प्रवास श्रावक ओमप्रकाश एवं सुशील सिसोदिया के फार्महाउस पर रहा। धर्मसभा में आयोजन के लाभार्थी पीपाड़ा एवं पारख परिवार के नरेन्द्र पीपाड़ा, कन्हैयालाल पारख, प्रकाश पारख ने इलेक्ट्रिक डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील तलेसरा, सचिव पारस ढाबरिया, शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना, कोटड़ी श्रीसंघ के अध्यक्ष नवरतनमल पोखरना, शांतिलाल सुराना, महावीर युवक मंडल के उपाध्यक्ष मनीष सेठी, शांतिलाल खमेसरा, निलेश कांठेड़, आनंद चपलोत, पीयूष खमेसरा आदि का स्वागत किया। लाभार्थी परिवार की ओर से चंदा कोठारी, सुनीता सुकलेचा आदि का भी स्वागत किया गया।

कोटड़ी चारभुजानाथ के प्रांगण में विशेष प्रवचनमाला गुरूवार से

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा 16 नवंबर दोपहर बाद इलेक्ट्रिक डीलर्स एसोसिएशन के फार्म हाउस से विहार का कोटड़ी रोड स्थित लोढ़ा फार्महाउस पर पहुंच गए। उनका 17 व 18 नवम्बर का प्रवास कोटड़ी में रहेगा। इस दौरान श्रीवर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ कोटड़ी के तत्वावधान में दोनों दिन सुबह 9 बजे से कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर प्रांगण में दो दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘दोस्ती की अमरकथा कृष्ण-सुदामा चरित्र’ का आयोजन होगा। संघ के प्रवक्ता शांतिलाल (बबलू) पोखरना के अनुसार धर्मसभा में प्रखर वक्ता रविन्द्रमुनिजी नीरज म.सा., महासाध्वी मनोहरकंवरजी म.सा. आदि ठाणा का भी सानिध्य प्राप्त होगा। विहारयात्रा के तहत समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा 20 नवंबर को शाहपुरा पहुचेंगे।

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